Book Title: Jina Siddhant
Author(s): Mulshankar Desai
Publisher: Mulshankar Desai

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Page 194
________________ [जिन सिद्धान्त उत्तर-आठवें गुणस्थान में जो ७२ प्रकृतियों का उदय होता है, उनमें से व्युच्छित्ति हास्य, रति, अरति, शोक, मय, जुगुप्सा इन छ: प्रकृतियों को घटाने पर शेष ६६ प्रकृतियों का उदय होता है। प्रश्न-नौवें गुणस्थान में कितनी प्रकृतियों की सत्ता रहती है ? उत्तर--पाठवें गुणस्थान की तरह इस गुणस्थान में भी उपशम श्रेणी वाले उपशम सम्यग्दृष्टि के,१४२, क्षायिक सम्यग्दृष्टि के १३६ और क्षपक श्रेणी वाले के १३८ प्रकृतियों की सत्ता रहती है ? प्रश्न- दसवें सूच्मसाम्पराय गुणस्थान का स्या स्वरूप है। उचर--जिस जीन की बादर कपाय छूट गई है, परन्तु सूक्ष्म, लोभ का अनुभव करता है, ऐसे जीव के सूक्ष्मसाम्पराय नामक दसवाँ गुणस्थान होता है। प्रश्न-दसवें गुणस्थान में बंध कितनी प्रकृतियों का होता है ? उत्तर--नौवें गुणस्थान में २२ प्रकृतियों का बंध होता है, उनमें से व्युच्छिति पुरुपवेद, संज्वलन क्रोध, मान, माया, लोम, इन पांच प्रकृतियों के घटाने पर शेष १७ प्रकनियों बंध होता है।

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