Book Title: Jina Siddhant
Author(s): Mulshankar Desai
Publisher: Mulshankar Desai

View full book text
Previous | Next

Page 189
________________ जिन सिद्धान्त ] द्वितीयोपशम सम्यग्यदृष्टि हो जावे अथवा तीनों प्रकृतियों का क्षय करके क्षायिक सम्यग्दृष्टि हो जावे तब श्रेणी चढ़ने का पात्र होता है । अश्न श्रेणी किसे कहते हैं ? उत्तर - जहाँ चारित्र मोहनीय की शेष रही २१ प्रकृतियों का क्रम से उपशम तथा क्षय किया जाय उसे श्रेणी कहते हैं । प्रश्न- श्रेणी के कितने भेद हैं ? उत्तर - दो भेद हैं- १ उपशम श्रेणी, २ क्षपक श्रेणी । प्रश्न – उपशम श्रेणी किसे कहते हैं ? उत्तर – जिसमें चारित्र मोहनीय की २१ प्रकृतियों का उपशम किया जाय । १८१ W प्रश्न - क्षायिक श्रेणी किसे कहते हैं ? उचर - जिसमें चारित्र मोहनीय की २१ प्रकृतियों का तय किया जाय । प्रश्न- इन दोनों श्रेणियों में कौन कौन से जीव चढ़ते हैं ? उत्तर - क्षायिक सम्यग्दृष्टिदोनो श्रेणी चढता है, परन्तु द्वितीयोपशम सम्यग्यदृष्टि उपशम श्रेणी ही चढ़ता है । चपक श्रेणी नहीं चढ़ता है। प्रश्न - उपशम श्र ेणी के कौन कौन से गुणस्थान हैं ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203