Book Title: Jin Pooja Sangraha Author(s): Ramchandra Gani Publisher: Rushi Nankchand View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - कुसुमांजलि मेलो बीर जिणंदा तोरा चरण कमल चोवीस पूजोरे चोवीस सोनागी घो वीस वैरागी चोवीस जिणंदा कुसुमांजलि मेलो बीरजिणंदा॥ ॥ इति पांखडी गाथा ५॥ ॥ बस्तु ॥ सयल जिन वर सयल जिन वर नमिय मनरंग । कल्लाणक विह संथविय। करि सुज म्म सुपवित्त सुंदर । सय इक सत्तरि तित्यं कर । इक्क समैं विहरंत महियल । चवण समैं इकवीस जिण। जम्म समैं इकवीस । नत्तिय नावें पूजिया। करो संघ सजगीस ॥१॥ ॥ इक दिन अचिरा हुलरावती एदेशी ॥ भव तीजे समकित गुण रम्या । जिन नक्ति प्रमुख गुण परिणम्या ॥ तजि इंद्विय सुख आसंसना । करि थानक वीसनी सेवना। ति राग प्रशस्त प्रजावता । मन नावना ए हवी जावता । सविजीव करूं शासन रसी इसी नाव दया मन उलसी । लहि परिणा For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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