Book Title: Jin Pooja Sangraha
Author(s): Ramchandra Gani
Publisher: Rushi Nankchand

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - - - । । चोवीस बैरागी चोवीस जिणंदा ॥३॥ - गाथा ॥ जेसिद्धा सिज्जतिजे। सिकि स्संति अणंत जसु आलंबन ठबिय मन । सो सेवो अरि हंत ॥१॥ ॥ढाल ॥ शिव सुख कारण जेह त्रिकालें । समप रिणामें जगत निहालें। उत्तम साधन मार्ग दिखाले इंदा दिक जसु चरण पखालें । कुसु मांजलि मेलो पार्श्व जिनंदा तोरा चरण कमल चोबीस पूजोरे छोघीस सोनागी चो बीस बैरागी चोबीस जिणंदा कुसुमांजलि मेलो पार्श्व जिणंदा ॥ ४ ॥ ॥ गाथा ॥ __ सम्मदिछी देसजय साहु साहुणी सार । आचारिज उवकाय मुणि ॥ जो निम्मल शाधार ॥१॥ ॥ ढाल ॥ चोबिह संधै जेमन धास्यो । मोक्ष तणों कारण निर धास्यो । बिबिह कुसुम वर जात गहेवी । तसु चरण प्रण मंत ठवेवी। - - - - For Private And Personal Use Only

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