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चोवीस बैरागी चोवीस जिणंदा ॥३॥ -
गाथा ॥ जेसिद्धा सिज्जतिजे। सिकि स्संति अणंत जसु आलंबन ठबिय मन । सो सेवो अरि हंत ॥१॥
॥ढाल ॥ शिव सुख कारण जेह त्रिकालें । समप रिणामें जगत निहालें। उत्तम साधन मार्ग दिखाले इंदा दिक जसु चरण पखालें । कुसु मांजलि मेलो पार्श्व जिनंदा तोरा चरण कमल चोबीस पूजोरे छोघीस सोनागी चो बीस बैरागी चोबीस जिणंदा कुसुमांजलि मेलो पार्श्व जिणंदा ॥ ४ ॥
॥ गाथा ॥ __ सम्मदिछी देसजय साहु साहुणी सार । आचारिज उवकाय मुणि ॥ जो निम्मल शाधार ॥१॥
॥ ढाल ॥ चोबिह संधै जेमन धास्यो । मोक्ष तणों कारण निर धास्यो । बिबिह कुसुम वर जात गहेवी । तसु चरण प्रण मंत ठवेवी।
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