Book Title: Jin Pooja Sangraha
Author(s): Ramchandra Gani
Publisher: Rushi Nankchand

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ पूजा। जो निय गुण पजव रम्यो। तसु अनुनव ए गत्त ॥ सुह पुग्गल आरोपतां । ज्योति सुरंग निरत्त ॥ १॥ ॥ ढाल ॥ __ जो निज आतम गुण आनंदी। पुग्गल संगै जेह अफंदी ॥ जे परमेश्वर निज पद लीन । पूजो प्रणमो जन्य अदीन ॥ कुसु मांजलि मेलो शांति जिणंदा ॥ तोरा चरण कमल चोवीस पूजोरे चोवीस सोनागी चोवी स बैरागी चोबीस जिणंदा कुसुमांजलि मे लो शांति जिणंदा । गाथा ॥ निम्मल नाण पयासकर । निस्मल गुण संपन ॥ निम्मल धम्मु वएसकर ॥२॥सो परमप्या धन ॥२॥ .... ॥ढाल ॥ लोका लोक प्रकाशक नाणी नवि जन तारण जेहनी वाणी ॥ परमा नंद तणीनी साणी। तसु भगत मुऊ मति ठह राणी । कु. समांजलि मेलो नेमि जिणंदा। तोरा चर ण कमल चोबीस पूजोरे चोबीस सोभागी - For Private And Personal Use Only

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