Book Title: Jin Pooja Sangraha Author(s): Ramchandra Gani Publisher: Rushi Nankchand View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ स्नात्र पूजा॥ - नै श्रापो अपकाया एकेंदिया जीवा नि रवदार्हत् पूजायां निय॑था निष्पापाः शुन गतयः संतु नमेस्तु संघहन हिंसा पाप मह दर्चने स्वाहा ॥ - ma - - ॥चंदन पुष्प धूप फल अदत शुछि मंत्र ॥ बनष्पतयो बनष्पति काया जीवा एकेंदिया निरवदाइहत् पूजायां निर्व्यथा निरपाया शुलगतयः संतु नमेस्तु संघहन हिंसापाप मर्हदर्चने स्वाहा ॥ ॥ अग्नि और दीपक शुछि मंत्र ॥ ने अग्नयो अग्निकाया जीवा एकैदिया निरवदार्हत् पूजायां नियंथाः संतु निर पायाःसंतु शुनगतयः संतु नमस्तु संघहन हिं सा पाप मईदर्चने स्वाहा। - - For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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