Book Title: Jignasa Journal Of History Of Ideas And Culture Part 02
Author(s): Vibha Upadhyaya and Others
Publisher: University of Rajasthan

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Page 167
________________ मारवाड़ की जल संस्कृति / 383 महाराजा बखतसिंहजी महाराजा अजीतसिंहजी के द्वितीय पुत्र थे। इन्होंने संवत् 1808 में जोधपुर की राजगद्दी संभाली। इन्होंने जालौरी दरवाजा के बाहर की ओर “बगत सागर" तालाब बनवाया। किले में अन्य निर्माण कार्य तथा नागौर में मंदिरों का निर्माण करवाया।21 महाराजा विजयसिंहजी महाराजा बखतसिंहजी के पुत्र एवं महाराजा अजीतसिंहजी के पौत्र थे। अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में इन्होंने वि.सं. 1809 में मारवाड़ राज्य की राजगद्दी संभाली।22 उन्होंने गंगश्यामजी का मंदिर बनवाया। विजैसाही सिक्का इन्हीं के नाम से चलाया। अन्य मंदिर भी बनवाये। पण्डित श्री रामकरण आसोपा के मारवाड़ के मूल इतिहास के अनुसार महाराजा विजयसिंहजी की 'पासवान' गुलाबराय नामक एक जाट स्त्री थी जो वल्लभ सम्प्रदाय की परमभक्त थी। उसने महाराजा साहब की याद को चिरस्थाई बनाने के लिए अनेक कार्य करवाये, जिनमें प्रमुख निम्न हैं।25 1. कुंज बिहारीजी का मंदिर 2. गुलाब सागर (तालाब) 3. महिला बाग के महल-चतुष्पद वापी अर्थात् “झालरा"। 4. गिरदीकोट “सरदार मार्केट" 5. फतहसागर (तालाब) 6. रावटी का तालाब 7. तालाब धाय सागर (धाय ने करवाया) महाराजा मानसिंहजी महाराजा विजयसिंहजी के पौत्र एवं गुमानसिंहजी के पुत्र थे। इन्होंने वि.सं. 1860 में जोधपुर की राजगद्दी संभाली।24 जोधपुर के जालौरी दरवाजा के पास “बाईजी का तालाब" इन्हीं के समय में बना। ऐसा माना जाता है कि इस तालाब का निर्माण इनकी सुपुत्री श्री सिरेकंबर बाईजी ने संवत् 1883 में करवाया। पानी की व्यवस्था के लिये इसकी लम्बी दूरी की नहरे भी बनवाई। इनकी चौथी रानी देवड़ीजी श्री एजन कंवरजी. ने रावटी के पास “ऐजन बावड़ी” तथा श्री राजनेश्वर महादेवजी का मंदिर बनवाया।25 इनकी चौदहवीं रानी श्री पांचवां भटियाणीजी श्री जसकुंवरजी ने विद्याशाला के निकट एक बावड़ी बनवाई जो "पांचमामाजी की बावड़ी" कहलाती है यहां पर श्री मोहन बिहारीजी का मंदिर भी बनवाया।25 ___ इन्होंने, महामंदिर की प्रतिष्ठा के समय वहां झालरा बनवाया। महामंदिर में ही मान सागर तालाब बनवाया तथा नहरें पक्की करवाई। उदयमंदिर तथा श्री नाथजी का मंदिर व झालरा बनवाया।26 महाराजा तखतसिंहजी ने महाराजा मानसिंहजी के उत्तराधिकारी के रूप में संवत् 1900 में जोधपुर की राजगद्दी ईडर से आकर संभाली। ये महाराजा अजीतसिंहजी के वंशज थे। इनको मकान आदि बनाने का बड़ा शौक था। इसलिये अनेक नए महल बगीचे तालाब आदि बनवाये। इन्होने रानीसर, पद्मसर, गुलाब सागर, फतहसागर के घाट बनवाये। बाईजी के तालाब की मरम्मत करवाई। तखत सागर तालाब व कायलाना झील इन्होंने ही बनवाई थी। इसके अतिरिक्त बीजोलाई, नाडेलाव, माचिया, जालिया, रामदान का बाड़िया, तखतसागर भीवभड़क मनरूप का बाड़िया, मीठी नाडी, फूलबाग आदि स्थान बनवाये। अन्य कई निर्माण इनके समय में हुए।

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