Book Title: Jignasa Journal Of History Of Ideas And Culture Part 02
Author(s): Vibha Upadhyaya and Others
Publisher: University of Rajasthan

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Page 178
________________ 394 / Jijñāsā की प्रमुख मण्डियों में आते थे और अपनी वस्तुओं के बदले यहां से उत्तरी भारत, उत्तर-पश्चिमी भारत और मध्य एशिया का सामान ले जाते थे। इसी प्रकार मध्य एशिया के व्यापारी भी घोड़ों सूखे मेवों तथा अन्य सामान के बदले पूर्वी एशिया की वस्तुएँ ले जाते थे। इस प्रकार इस क्षेत्र का दोनों हिस्सों से घनिष्ठ व्यापारिक सम्पर्क रहा था। राजपूत राज्यों की सभी राजधानियाँ सहायक मार्गों के द्वारा मुख्य व्यापारिक मार्गों से जुड़ी हुई थी। मुख्य और सहायक मार्गों पर व्यापारियों और यात्रियों को सुविधा के लिये जगह-जगह कुँए तथा सरायें बनी हुयी थी । मध्यकाल में राजस्थान में अनेक विकसित व्यापारिक केन्द्र थे उदयपुर राज्य का भीलवाड़ा, बीकानेर राज्य का चुरू एवं राजगढ़, जयपुर राज्य का मालपुरा तथा जोधपुर राज्य का पाली, विकसित व्यापारिक केन्द्र थे ।' ये व्यापारिक केन्द्र समुद्री किनारों तथा उत्तरी भारत को जोड़ने वाली कड़ी का अंग थे तथा विदेशी व्यापार का भी केन्द्र थे। इन केन्द्रों पर भारत काश्मीर एवं चीन के उत्पादों का यूरोप, अफ्रीका, एशिया एवं अरब की वस्तुओं के साथ आदान-प्रदान होता था। 1818 ई. के बाद बारा, भीलवाड़ा, चूरू, डीग, झुन्झुनु, मेड़ता, नागौर, पाली, साम्भर, सीकर आदि प्रमुख व्यापारिक केन्द्रों के रूप में उभरकर सामने आये। इसी तरह शेखावाटी क्षेत्र भी व्यापारिक क्रियाओं में समृद्ध था। ब्रिटिश भारत में निष्क्रमण करने वाले व्यापारियों में सबसे अधिक संख्या शेखावाटी के लोगों की थी। यहां पर सीकर, झुन्झुंनु, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, बगड़, नवलगढ़, चिड़ावा, रामगढ़, उदयपुरवाटी, नीम का थाना, बैंकिंग व्यवसाय के लिये प्रसिद्ध है । इस कस्बों में मध्यकाल में हुण्डी एवं महाजनी का कार्य काफी विकसित हुआ था। इसका कारण पाली, राजगढ़, चुरू जैसे व्यापारिक केन्द्रों की समीपता को माना जा सकता है। 1908 में प्रकाशित एम्पीरियल गजेटियर ऑफ इण्डिया" में भी उल्लेख है कि शेखावाटी के कस्बों में बैंकिंग एक्सचेंज एवं महाजनी का व्यवसाय अधिक है ।" व्यापारिक एवं वाणिज्य के विकास में व्यापारिक मार्गों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है समकालीन अभिलेखागारीय साक्ष्यों से हमें अनेक ऐसे मार्गों का उल्लेख मिलता है जिनके माध्यम से न केवल शेखावाटी के विभिन्न व्यापारिक केन्द्र एवं कस्बे एक दूसरे से जुड़े हुए थे वरन् उनके माध्यम से शेखावाटी के महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र राजस्थान के तथा देश के कई अन्य व्यापारिक केन्द्रों से भी जुड़े हुये थे मार्गों को आन्तरिक व्यापारिक मार्ग और बाह्रय व्यापारिक मार्ग दो भागों में बाँट सकते हैं शेखावाटी क्षेत्र बीकानेर, जयपुर, नागौर, जोधपुर, राजगढ़, हरियाणा आदि की सीमा पर होने के कारण मुख्य व्यापारिक केन्द्रों से सीधा जुड़ा हुआ था कुछ व्यापारिक मार्ग जैसे : 1 (1) चूरू से जैसलमेर :- चूरू- सोडावा - बाप- फलौदी-पोकरण-जैसलमेर 110 (2) झुन्झुनु से पाली : - झुन्झुनु - फतेहपुर- लाडनू - डीडवाना नागौर - पाली ।" (3) राजगढ़ से पाली - राजगढ़ चूरू- नवलगढ़-डीडवाना नागौर पाली ।" : -- (4) बीकानेर से जयपुर बीकानेर- सुजानगढ़ सीकर जयपुर ।" (5) साम्भर से भिवानी : इसी तरह 12वीं - 13वीं शती में दिल्ली (योगिनीपुर) से गुजरात जाने वाला व्यापारिक मार्ग रेणी, नागौर, पाली से होता हुआ गुजरात पहुँचता था ।" औरंगजेब की मृत्यु के बाद अफगानों द्वारा पंजाब पर लूटमार करने के कारण मध्य एशिया, काबुल, कंधार से पंजाब होकर उत्तर भारत आने वाला व्यापारिक मार्ग असुरक्षित हो गया था। उस समय इन प्रदेशों के व्यापारियों ने मुल्तान के मार्ग से बीकानेर होते हुये उत्तर भारत आना प्रारम्भ कर दिया। इस प्रकार इस समय बीकानेर राज्य से गुजरने वाले व्यापारिक मार्ग महत्वपूर्ण हो गये। शेखावाटी क्षेत्र बीकानेर की सीमा पर होने के कारण सहायक व्यापारिक मार्गों के कारण इन मार्गों से जुड़ गया था । : साम्भर डीडवाना - सुजानगढ़-राजगढ़-निवानी ।" -

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