Book Title: Jignasa Journal Of History Of Ideas And Culture Part 02
Author(s): Vibha Upadhyaya and Others
Publisher: University of Rajasthan
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भारत में महिला श्रमिक : दशा एवं दिशा / 421
बच्चे पर कुप्रभाव का डर या स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ने की सम्भावना है, तो नियोजक उसकी प्रार्थना पर कार्य करने तथा उसे श्रम साध्य कार्य न देने के लिए अपेक्षित है।
भारत में महिलाओं को कानूनन वे सभी अधिकार प्राप्त हैं जो पुरूषों को प्राप्त हैं पर व्यवहार में अनेक विसंगतियाँ हैं। पूरी दुनिया में निगाह दौड़ाने पर यह देखा गया कि पुरूषों से किसी भी प्रकार कम न होने पर भी महिलाओं के साथ लगभग सभी जगह भेदभाव होता चला आया है।
भारत के महिला श्रमिकों से संबंधित परिदृश्य की चर्चा करने से पूर्व यहाँ के आर्थिक, मानव संसाधन विकास, शिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, श्रमिकों की संख्या आदि पहलूओं पर एक नजर डालने की आवश्यकता है। यह आवश्यक भी है और महत्वपूर्ण भी। क्योंकि जिस विषय की स्थिति के विभिन्न आयामों के प्रति एक स्पष्ट समझ पैदा करना है, तो इससे संबंधित एवं जरूरी मसलों का निरीक्षण भी आवश्यक हो जाता है। विकसित एवं विकासशील राष्ट्र की महिलाओं के संघर्ष के बिंदु/मसले अलग-अलग होते हैं। कहीं पानी के लिए संघर्ष है तो कहीं पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए संघर्ष है। कहीं महिलाएं को रोजगार के अवसर के लिए संघर्ष करना पड़ता है, तो कहीं बेहतर रोजगार के लिए संघर्ष ।
क्र.सं.
भारत में आर्थिक एवं मानव संसाधन विकास संबंधी स्थिति विवरण जीवन प्रत्याशा (2001-06) शिशु मृत्यु दर (प्रति हजार) जन्म दर (प्रति हजार) मृत्यु दर (प्रति हजार) बुनियादी/प्राथमिक विद्यालय माध्यमिक विद्यालय उच्च/उच्चतर/इंटर/स्नातक महाविद्यालय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान विश्वविद्यालय/राष्ट्रीय महत्व के संस्थान साक्षरता दर (प्रतिशत में) (क) पुरूष (ख) स्त्री गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का (प्रतिशत में) गरीबी रेखा (प्रति व्यक्ति प्रतिमाह 2004-05) (क) ग्रामीण (रूपये में) (ख) शहर (रूपये में) गरीबों की संख्या (2004-05) करोड़ में (क) गाँव (करोड़ में) (ख) शहर (करोड़ में)
6,64,041 2,19,626 1,33,92 2,409 351 654
75.9
54.0 27.5
356.3 538.6 30.2 22.1
8.1