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इनकी परवाशाल मगराज ने नागौरी दरवाजे बाहर तथा लछराज ने जालौरी दरवाजा बाहर- बावड़ियाँ बनवाई। नागौरी गेट के बाहर आनाजर हरकरण ने बनवाया। सुरपरा के मार्ग में लालसागर तालाब, लालसागर के पास एक अन्य कुआं उजीर बगस के मार्फ तथा कासबा का कुआं और सोयंतरे का कुआं चहवाणजी ने करवाया था। मण्डोर के पास बाग एवं कुआ था विजाह के भारफन मण्डोर के पास अन्य कु.आं मुहता पूनमचंद के मार्फत बनवाए।27
राणा राणावतजी ने भण्डोर के पास “खोखरियौ कुऔ” बनवाया। श्रीमाली पोकर की बगेची के पास कुआं। रामदानं के बाड़िये वाचदी। कायलाणा के पास बड़ा तालाब नाजर हरकरण के मार्फत। बीजोलाई तालाब अभैसागर के ऊपर कुआं, जालियों की मरम्मत।
महाराजा नखतसिंह नी द्वारा बनवाये गये तखतसागर एवं कायलाना झील की नहरों का निर्माण सर प्रतापसिंहजी ने करवाया! इबाने उक्त जलाशयों से पंप द्वारा जोधपुर शहर में पानी उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की।
महाराजा उम्मेदसिंहजी ने वि.सं. 1975 में अपने बड़े भ्राता महाराजा सुमेरसिंहजी के उत्तराधिकारी के रूप में मारवाड़ राज्य को बागडोर संभाली। इनका विरुद "मारवाड़ के पुनर्निर्माता" के रूप में प्रसिद्ध है। बदलते समय की आवश्यकताओं को देखते हुए इन्होंने जोधपुर शहर एवं मारगड़ राज्य में सुधार के अनेक कार्य करवाये।
जानपुर सहर की बढ़ती जनसंख्या को मेखिने हुए कायलाना झील के पास तखत सागर नामक अन्य तालाब का निर्माण करवाया।
विक्रम संवत 1996 (ईसा सन 1930-40) में भयंकर अकाल के समय अनेक गांवों में तालाब व छोटे नाडे खुदवाये। सकाल राह के अनेक कार्य प्रारम्भ करवाये।
भयोमाया के लिये पर-तारे की पारया के लिये सरकारी स्तर पर चारे की व्यवस्था की गई और रियायती दर से चारा उपलब्ध करने का प्रबन्ध किया। तारीख 30.10.39 को जारी इश्तिहार में घास एवं कड़बी निम्नलिखित दरों पर देने की सूचना जारी की गई 129
(1) काश्तकारान को 0.75 फीमण (बारह आना) (2) गैर काश्तकारान को 1.50 फीमण (डेढ़ रुपया)
तारीख 2 दिसम्बर 1959 को एक रानकीय सूचना प्रसारित की गई, जिसमें करीब 50000 लोगों को (रोजगार) मजदूरी पर लगाये जाने की सूचना तथा नमाम मारवाड़ में सस्ते घास के गोदामों की व्यवस्था की सूचना दी गई। कुछ मामलों में मुक्त चारा व घास का प्रबन्ध भी किया गया। सस्ते अनाज की दुकानों का प्रबन्ध भी किया और पानी की व्यवस्था के लिये रेल की 100 टंकियां खरीदने की व्यवस्था की गई। इस कार्य के लिये अनुमानित 70 लाख रुपये खर्च करने का प्रावधान रखा गया।
शहरवासियों को सस्ते दामों में अनाज उपलब्ध करवाने के लिहाज से शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 12 दुकानें खुलवाई गईं, जिनके ज़रिये गेहूँ (कणक) एक रुपये की पौने सात सेर तथा बाजरी आठ सेर के भाव से उपलब्ध करवाने का प्रबंध किया गया।
अकाल राहत के अन्तर्गत सड़क निर्माण कार्य चार क्षेत्रों में चालू किये गये। (1) रोल से मूंडवा तक सड़क (2) खजवांणा से कुचेरा तक (3) कत्ती से खाडू तक (4) कजनाऊ से गोटन तक सड़क निर्माण। 2
जनवरी 1940 के प्रथम सप्ताह में 25000 मन धास व कड़वी बाहर से मंगवाई गई जिसे मण्डोर, मेड़ता, नागौर, मारोठ, डीडवाना आदि 12 स्थानों पर भिन्न-भिन्न केन्द्रों से आपूर्ति की व्यवस्था की गई।