Book Title: Jainagama Nirdeshika Author(s): Kanhaiyalal Maharaj Publisher: Agam Anuyog Prakashan View full book textPage 7
________________ जैनागम-निर्देशिका आगम-सूची که ८३१ ३ له م م م م ८५७ ८५६ م ८७३ م م م س ق ر س ५१३ ११ अंग अागम पृ० संख्या २६. नन्दीसूत्र पृ० संख्या ८३२ १. आचारांग २७. अनुयोगद्वार २. सूत्रकृतांग | ४ छेद भागम ३. स्थानांग २८. बृहत्कल्प ८४५ ४. समवायांग २६. जीतकल्प ५. भगवतीसूत्र २६१ ३०. व्यवहार ६. ज्ञाताधर्मकथा ३१. दशाश्रुतस्कंध ७. उपासकदशा ४६७ ३२. निशीथ ८७७ ८. अन्तकृद्दशा ३३. श्रावश्यक ६. अनुरोत्तपपातिकदशा। ४६७ ७६३ ३४. कल्पसूत्र ८६९. १०. प्रश्नव्याकरण ५०३ ५० प्रकीर्णक ११. विपाक ३५. चतुश्शरण प्रकीर्णक ६१६ १२ उपांग आगम ३६. आतुर-प्रत्याख्यान ... ६१६ १२. औपपातिक ३७. महाप्रत्याख्यान .... ६२१ १३. राजप्रश्नीय ३८. भक्तपरिज्ञा .... ६२४ १४. जीवाभिगम ३६. तन्दुलवैचारिक .... ६२७ १५. प्रज्ञापना संस्तारक .... ६३० १६. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ४१. गच्छाचार ..... ६३१ १७. चन्द्रप्रज्ञप्ति. ४२. गणिविद्या १८. सूर्यप्रज्ञप्ति ७२६ ४३. देवेन्द्रस्तव " ६३५ १९-२३ निरयावलिकादि ४४. मरणसमाधि .... ६३८ ४ मूल अागम २४. दशर्वकालिक ७५७ । १ नियुक्ति भागम २५. उत्तराध्ययन ७६७ / ४५. पिण्ड-नियुक्ति ६४१ . م ५२७ ع ع ५६५ ب س ७२६ m ... ६३३ م ७४५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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