Book Title: Jain Vidya Ke Vividh Aayam
Author(s): Fulchandra Jain
Publisher: Gommateshwar Bahubali Swami Mahamastakabhishek Mahotsav Samiti

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Page 6
________________ विषय-सूची पृष्ठसंख्या 1. जैनधर्म में तीर्थङ्कर की अवधारणा और तीर्थङ्कर-परम्परा ___ - डॉ. देवकुमार जैन, रायपुर 2. कर्म-सिद्धान्त में तीर्थङ्कर प्रकृति की महत्ता - पं. आनन्दप्रकाश जैन शास्त्री, कोलकाता 3 3. पञ्चकल्याणक : सम्यक् जीवनशैली का दिग्दर्शक - ब्र. जयकुमार, निशान्त, टीकमगढ़ . पञ्चकल्याणक प्रतिष्ठाओं का स्वरूप और उपयोगिता : वर्तमान परिप्रेक्ष्य में - पं. विनोदकुमार जैन. रजवांस 5. तीर्थङ्करों के पञ्चकल्याणकों का वैशिष्टय: एक विश्लेषण ___- डॉ. अनिलकुमार जैन, अहमदाबाद 6. चौबीस तीर्थङ्करों के केवलज्ञान प्राप्ति वाले वृक्ष और उनका वैशिष्ट्य / - डॉ. राकेशकुमार गोयल, बोधगया 7. तीर्थङ्कर ऋषभदेव और उनका युग - डॉ. अशोककुमार जैन, लाडनूं 8. तीर्थङ्कर ऋषभदेव का व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व - प्रो. लालचन्द्र जैन, भुवनेश्वर 9. तीर्थङ्कर ऋषभदेव का शिक्षा-दर्शन - डॉ. चन्द्रकान्ता जैन, सागर 10. भगवान् ऋषभदेव का मानव सभ्यता को योगदान - प्रो. नलिन के. शास्त्री, दिल्ली 11. भारतीय समाज और संस्कृति के विकास में ऋषभदेव का योगदान . - डॉ. श्रीरंजनसूरिदेव, पटना 12. आदिपुराण में वर्णित भगवान् ऋषभदेव - डॉ. मुमुक्षुशान्ता जैन, लाडनूं 13. Bhagwan Adinath Cult in Andhra - Dr. G. Jawahar Lal, Rajamundry 14. तीर्थङ्कर अभिनन्दननाथ एवं उनकी पञ्चकल्याणक भूमियाँ - डॉ. कृष्णा जैन, ग्वालियर 15. तीर्थङ्कर सुमतिनाथ और उनकी पञ्चकल्याणक तीर्थ-भूमियाँ - श्रीमती डॉ. राका जैन, लखनऊ 16. तीर्थङ्कर सुपार्श्वनाथ एवं उनकी पञ्चकल्याणक तीर्थ-भूमियाँ - डॉ. कमलेशकुमार जैन, वाराणसी -TV

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