Book Title: Jain Tattva Mimansa
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 23
________________ जैन धर्म एवं दर्शन-165 जैन-तत्त्वमीमांसा -17 उपर्युक्त विवेचन से एक निष्कर्ष यह भी निकाला जा सकता है कि जो दर्शनधाराएं अभेदवाद की ओर अग्रसर हुईं, उनमें 'सत्' शब्द की प्रमुखता रही, जबकि जो धाराएं भेदवाद की ओर अग्रसर हुई, उनमें 'द्रव्य' शब्द की प्रमुखता रही। ___ जहाँ तक जैन-दार्शनिकों का प्रश्न है, उन्होंने सत् और द्रव्य में एक अभिन्नता सूचित की है। तत्त्वार्थभाष्य में उमास्वाति ने 'सत् द्रव्य लक्षण कहकर दोनों में अभेद स्थापित किया है, फिर भी हमें यह स्मरण रखना चाहिये कि जहाँ 'सत्' शब्द एक सामान्य सत्ता का सूचक है, वहाँ 'द्रव्य शब्द विशेष सत्ता का सूचक है। जैन आगमों के टीकाकार अभयदेवसूरि ने और उनके पूर्व तत्त्वार्थभाष्य (1/35) में उमास्वाति ने ‘सर्व एकं सद् विशेषात्' कहकर सत् शब्द से सभी द्रव्यों के सामान्य लक्षण अस्तित्व को सूचित किया है। अतः, यह स्पष्ट है कि सत् शब्द अभेद या सामान्य का सूचक है और द्रव्य शब्द विशेष का। यहॉ हमें यह भी स्मरण रखना चाहिये कि जैन-दार्शनिकों की दृष्टि में सत् और द्रव्य शब्द में तादात्म्यसम्बन्ध है, सत्ता की अपेक्षा वे अभिन्न हैं; उन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है, क्योंकि सत् अर्थात् अस्तित्व के बिना द्रव्य भी नहीं हो सकता। दूसरी ओर, द्रव्य (सत्ता-विशेष) के बिना सत् की कोई सत्ता ही नहीं होगी। अस्तित्व (सत्) के बिना द्रव्य और द्रव्य के बिना अस्तित्व नहीं हो सकते। यही कारण है कि उमास्वाति न सत् को द्रव्य का लक्षण कहा था। स्पष्ट है कि लक्षण और लक्षित भिन्न-भिन्न नहीं होते हैं। ... वस्तुतः, सत् और द्रव्य–दोनों में उनके व्युत्पत्तिपरक अर्थ की अपेक्षा से ही भेद है, अस्तित्व या सत्ता की अपेक्षा से भेद नहीं है। हम उनमें केवल विचार की अपेक्षा से भेद कर सकते हैं, सत्ता की अपेक्षा से नहीं। सत् और द्रव्य अन्योन्याश्रित हैं, फिर भी वैचारिक स्तर पर हमें यह मानना होगा कि सत् ही एक ऐसा लक्षण है, जो विभिन्न द्रव्यों में अभेद की स्थापना करता है, किन्तु हमें यह भी ध्यान रखना चाहिये कि सत् द्रव्य का एकमात्र लक्षण नहीं है। द्रव्य में अस्तित्व के अतिरिक्त अन्य लक्षण भी हैं, जो एक द्रव्य को दूसरे से पृथक् करते हैं। अस्तित्व लक्षण की अपेक्षा से सभी द्रव्य एक हैं, किन्तु अन्य लक्षणों की अपेक्षा से वे एक-दूसरे से

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