Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 03 Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal View full book textPage 6
________________ १०८ ܐܕ ११० १११ १२३ १२८ १३८ १५६ १६७ १७८ १८४ १८८ १८८ १६२ १९५ १९८ १६६ १६६ २०० २०० २०० कृपया शुद्धि ठीक करके पढ़े गणों सामान्त सामान्त सिद्ध १८ ११ २६ ४ १६ १३ ४ २५ १८ २५ ४ २० Ε २२ २६ १ १६ ८ १५ १८ कवलज्ञानावर्णी आहोर विभावप्रथ कहने जाति बनाया बध स द्वषादि बंध स 1÷1 ## hd म म ह स्वतंत्र बध सख्या जय महावीर जय गुरुदेव 5 गुणों सामान्य सामान्य सिद्धि केवलज्ञानावर्णी आहार विभावअर्थ कहते जातीय बताता गंध से द्वेषादि बंध ho स्वतंत्र बंध संख्याPage Navigation
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