Book Title: Jain Siddhant Pravesh Ratnamala 03 Author(s): Digambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun Publisher: Digambar Jain Mumukshu Mandal View full book textPage 4
________________ इसके अभ्यास से प्रवश्य ही पर कर्ता-भोक्ता की खोटी बुद्धि का प्रभाव होकर जीवों को धर्म की प्राप्ति का अवकाश है। ऐसी भावना से ओतप्रोत होकर हम आत्मार्थियों से निवेदन करते हैं कि वे इस पुस्तक का अभ्यास कर अपने हितमार्ग पर आरुढ होवें । पाठ प्रकरण १ २ ४ ५ मंगलाचरण भेद विज्ञान विश्व द्रव्य गुण पर्याय विनीत मुमुक्षुमंडल श्री दिगम्बर जैन मंदिर सरनीमल हाऊस, देहरादून मुख्य विषय तथा सम्यग्दर्शन और मोक्ष के लिए आठ बोलों का वर्णन पृष्ठ ३ १३ ૪૨ १०० १२२ १८३Page Navigation
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