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पूर्णतल्लगच्छ का संक्षिप्त इतिहास
निर्ग्रन्थ दर्शन के श्वेताम्बर सम्प्रदाय के अन्तर्गत चन्द्रकुल से उद्भूत मध्यकालीन गच्छों में पूर्णतल्लगच्छ का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है । जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट होता है यह गच्छ राजस्थान प्रान्त के जोधपुर मंडल में स्थित प्राचीन पूर्णतल्लक या पूर्णतल्ल, वर्तमान पुन्ताला, नामक स्थान से अस्तित्व में आया प्रतीत होता है।' इस गच्छ में आम्रदेवसूरि, श्रीदत्तसूरि, यशोभद्रसूरि, प्रद्युम्नसूरि, गुणसेनसूरि, देवचन्द्रसूरि, कलिकालसर्वज्ञ हेमचन्द्रसूरि, प्रसिद्ध नाट्यशास्त्री रामचन्द्र - गुणचन्द्र आदि कई प्रसिद्ध और विद्वान् आचार्य हो चुके हैं ।
जहाँ प्रायः सभी गच्छों से सम्बद्ध अनेक ग्रन्थप्रशस्तियां, दो-एक पट्टावलियां तथा पर्याप्त संख्या में अभिलेखीय साक्ष्य उपलब्ध हैं जिनके आधार पर गच्छ विशेष के इतिहास की पुनर्रचना की जाती है, वहीं इस गच्छ की न तो कोई पट्टावली मिलती है और न ही बड़ी संख्या में अभिलेखीय साक्ष्य ही मिलते हैं । इस गच्छ से सम्बद्ध कुछ ग्रन्थ प्रशस्तियां मिलती हैं, किन्तु वे भी सीमित संख्या में हैं, फिर भी उनसे इस गच्छ के उद्भव और विकास का कुछ हद तक स्पष्ट स्वरूप प्रकाश में आ जाता है इनका विवरण इस प्रकार है :
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