Book Title: Jain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Author(s): Shivprasad
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat

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Page 673
________________ १३४१ हर्षपुरीयगच्छ अपरनाम मलधारीगच्छ २१. पं० लालचन्द भगवानदास गांधी, पूर्वोक्त, पृष्ठ ७६. २२. मोहनलाल मेहता : जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग -३, पार्श्वनाथ विद्याश्रम ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ११, वारामसी १९६७ ईस्वी., पृष्ठ २४२. ___ वही, पृष्ठ २४३. २४. पं० लालचन्द भगवानदास गांधी, पूर्वोक्त, पृष्ठ ८०-८१. २५. जिनरत्नकोश, पृष्ठ ४१०. २६. वही, पृष्ठ ३८. २७. द्रष्टव्य : संदर्भ क्रमांक ४. २८. गांधी, पूर्वोक्त, पृष्ठ १२३. २९. द्रष्टव्य : संदर्भ क्रमांक ६. ३०. ज्ञातधर्मकथा का एक नाम. ३१. द्रष्टव्य : संदर्भ क्रमांक ७. ३२. सांडेसरा, पूर्वोक्त, पृष्ठ १०२-१०४. ३३. मुनि जिनविजय : प्राचीनजैनलेखसंग्रह, भाग-२, भावनगर १९२१ ईस्वी, लेखांक ३९-२, ४२-५छ. ३४. अलंकारमहोदधि, संपा० पं० लालचंद भगवानदास गांधी, परिशिष्ट क्रमांक ४, पृष्ठ ४०१-४०३. ३५. सांडेसरां, पूर्वोक्त, पृष्ठ १०४-१०६. ३६. अलंकारमहोदधि, परिशिष्ट, क्रमांक ५-६, पृष्ठ ४०४-४१६. ३७. मुनि जिनविजय, पूर्वोक्त, लेखांक ४१-४. ३८. प्रबन्धकोश, संपा० मुनिजिनविजय, सिंधी जैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ६,शांति निकेतन १९३५ ई०. ३९. मोहनलाल दलीचंद देसाई, पूर्वोक्त, पृष्ठ ४३७. संकेत सूची: जै०ले०सं० - जैनलेखसंग्रह, संपा० पूरनचन्द नाहर प्रा० जै० ले० सं० - प्राचीनजैनलेखसंग्रह, संपा० मुनि जिनविजय अ० प्रा० जै० ले० सं० - अर्बुदप्राचीनजैनलेखसंदोह, संपा० मुनि जयन्तविजय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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