Book Title: Jain Shwetambar Gaccho ka Sankshipta Itihas Part 02
Author(s): Shivprasad
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat
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संडेरगच्छ
६५.
६६.
वही, लेखांक ६८२.
नाहर, पूर्वोक्त, लेखांक ४६८.
नाहटा, पूर्वोक्त, लेखांक १३३६.
नाहटा, पूर्वोक्त, लेखांक ७२५ और ७२६.
६७.
६८.
६९. वही, भाग ३, लेखांक २३०८.
७०. मुनि कान्तिसागर जैनधातुप्रतिमालेख, लेखांक ८१.
७१.
नाहर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक १९३३. ७२. जैनसत्यप्रकाश, वर्ष १८, पृ० ८९-९३. नाहर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक ११४२.
७३.
७४.
नाहर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक ५४९.
नाहटा, पूर्वोक्त, लेखांक १३३९.
नाहटा, पूर्वोक्त, लेखांक ८१३.
७५.
७६. नाहटा, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक ११४२.
७७. विजयधर्मसूरि - प्राचीनलेखसंग्रह, लेखांक १८९.
७८. मुनि जयन्तविजय, आबू, भाग २, लेखांक ६३५.
७९. बुद्धिसागरसूरि - जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग २, लेखांक ५५०.
८०. विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, लेखांक २२१ एवं नाहर, पूर्वोक्त, भाग- २, लेखांक १०८१.
८१. जैनसत्यप्रकाश, वर्ष ११, पृ० ३७५-८३.
८२. मुनि कान्तिसागर, पूर्वोक्त, लेखांक १०३. ८३. विजयधर्मसूरि, पूर्वोक्त, लेखांक २२०. नाहटा, पूर्वोक्त, लेखांक ९०७.
८४.
८५. वही, लेखांक १३१८.
८६. जैनसत्यप्रकाश, वर्ष ९, पृ० ५१४ - ६००.
८७. बुद्धिसागरसूरि - पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक ३५३.
८८. मुनि कान्तिसागर - पूर्वोक्त, लेखांक १०३.
नाहटा, पूर्वोक्त, लेखांक २४५०.
८९.
९०. वही, लेखांक ९१८.
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१२६९
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