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( ३६ ) प्यारे बच्चो ! इस पाठ से तुम मी हमेशा एक माइल से अधिक चलने की प्रतिज्ञा करो ।
पाठ २२-तमाखू प्यारे बालको ! तामखू एक नशे वाली वस्तु है, इतना ही नहीं किन्तु शरीर को अन्दर से नष्ट करके खोखला बना देने वाला विष है। तुमने बहुत से तमाखू पीने, सूंघने तथा खाने वाले बुड्ढों को देखे ही होंगे कि उनको कितना दुःख होता है, साँस नहीं लिया जाता, दम भर जाता है, आँखों से कम दीखने लगता है। बच्चो ! ये सब इस तामखू के ही खेल हैं। तमाखू पीने वाले कमजोर हो जाते हैं, शरीर का रंग पीला पड़ जाता है ।
अजीर्ण, कन्जी आदि रोग इससे पैदा होते हैं । __ डॉ० वीचेल कहते हैं-तमाखू से फेंफड़े सड़ जाते है, हृदय जठर और स्नायु नरम हो जाते हैं, किसी किसी समय तो मूर्छित होने से मृत्यु भी आधेरती है । ___ डॉ० क्लन कहते हैं कि-इसी तमाख के कारण हदापा आने के पहिले ही जिनकी स्मर्ण-शक्ति नष्ट हो