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मनुष्य और पशु संसार
वर्तमान समय में इस संसार मे प्राय: करके पशु और पक्षियोंसे भी मनुष्य का जीवन प्रत्यक्ष में बहुतही पुण्यहीन दिखाई दे रहा है ।
जवान बैल तथा घोड़े पर मर्यादित बोझा लादा जाता है मर्यादा से अधिक नहीं लादने वावत म्युनिसिपालिटी का प्रबंध है । वृद्धावस्था वृद्धापकाल के लिये स्थान २ पर गोशालाएं बनी हुई हैं जहां वे अपनी शेष जिंदगी आराम से व्यतीत कर सकें । लेकिन अभागे मनुष्य के लिये युवा तथा वृद्ध किसी भी अवस्था में आराम नहीं है । उम्र बढ़ने के साथ २ ही उसकी पापमय जीवन में प्रवृत्ति चिंता एवं उपाधियां वगेरह बढ़ती जाती हैं ।
धन के लिये अपना जीवन पशु से भी बुरी तरह व्यतीत करने पर भी मनुष्य पशु के समान निश्चिंतता से दाल रोटी न तो खुदही खा सकता है और न दूसरों को खिला सकता हैं
। इस पर से यह सिद्ध हुआ कि मनुष्य देह धन कमाने के लिये नहीं है किंतु एकमात्र धर्म आराधना के लिये ही है ।
राजकुमार यदि राजसिंहासन का त्यागकर बांस ने के लिये जंगल में जाय तो बांस के बदले अपनी