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उनमें राखौंका पुट देना, ऊन में, रुइमें सफेद सख मिलाना, अजमान व जीरे में पंजाब की मिट्टी का पुट लगाना, चने में कंकर मिलाना, घी में चर्वी का घी मिलाना ताजे आटे में पुराना आटा मिलाना गरीबों से चार सेर का पांच सेर तोल करके लेना और देते समय पांच सेर को ४ सिर करके देना इत्यादि कई प्रकार की चोरियां अपने जीवन में करते हैं. रेलवे में, कस्टम में, राज्य में व प्रायः सब जगह चोरी ही करते हैं सरकार को पता लग जावे और हाथ में तुरंत हथकडी पड जावे ऐसी चोरी के सिवाय अन्य जितनी चोरियां कर सकते हैं उन सबका शिक्षण न्यौपारी समाज की माता व पिताओं की गोद में ही मिलता है।
चोर की नीति प्रभव चोर राजगृहि नगरी में चोरी करने के लिये प्रवेश करने के पहिले विचार करता है कि हाय ! यह धंदा कितना पापी है मनुष्यो को धन अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय है धन के लिये पिता पुत्र का और पुत्र पिता का खून कर डालता है. कोड़ों मनुष्यों के खून की नदी इस धन ने वहा ही है. हाथी और हार के लिये अभी दो दिन में एक कोड़ अस्सी लाख मनुष्य मर गये. हाय! ऐसे धन को हडप जाने वाला मैं अत्यंत पापी हूं.