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दूसरा भाग
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१-जैसे मनुष्य के शरीर का घाव भरता है वैसे ही खोदी हुई खाने आपसे आप भर जाती हैं।
२-जैसे मनुष्य के पाँव का तला घिसता और बढ़ता है वैसे ही जमीन (पृथ्वी ) भी रोजाना घिसती और बढ़ती है।
३--जिस तरह बालक बढ़ता है वैसे पर्वत भी धीरे-धीरे बढ़ते मालूम होते हैं।
४--लोह चुवक लोह को खीचता है, यह बात उसकी चैतन्य शक्ति को प्रकट करती है । मनुष्य को तो लोह को लेने के लिए उसके पास जाना पड़ता है जब कि लोह चुम्बक तो लोह को प्रापसे आप वीच लेता है।
५-पथरी का रोग हो जाता है तो बताया जाता है कि मूत्राशय मे सचेत ककर बढ़ता है।
६-मच्छी के पेट में रहा हुआ मोती भी एक प्रकार का पत्थर होता है और वह भी बढ़ता है।
७-मनुष्य के शरीर में हड्डी होती है लेकिन उसमे जीव होता है उसी प्रकार पत्थर मे भी होता है।
सुमति-ज्ञानीमित्र पृथ्वी काय मे जीव है, यह साबित करने के लिए आपने तर्क अनुमान से ठीक प्रमाण बताए । 'अब अप-काय के लिए फोई प्रमाण बताने की कृपा करे।
जयत - प्रिय मित्र सुन । अप (पानी) काय जीव की मिद्धि के लिए ये प्रमाण है
-जिस तरह प्र में रहे हुए पवाहा पदार्थ में पञ्चेन्द्रिय पनी का पिएट होता है वैसे ही प्रवाही पानी भी जीवों का पिण्ड