________________
( ५१ ) (७) यदि अहिंसा धर्म को देश मानता होता तो परस्पर द्वेपानि न फैली होती, पोरन विदेशी विधर्मियों का यहां शासन ही जमता ।
(८) इतिहासों के पढ़न से तो यही वात सिद्ध होती है कि जैन वीरों ने देश हित के लिये अनेक वार संग्राम किया है और शत्रुओं को पराजित किया है।
(६) जैन धर्म शास्त्रों में ऐसा विधान कहीं भी नहीं मिल सकता कि अपराधी को दण्ड न देकर पुरस्कार दिया जाय ।
(१०) संसार में सच्चे अहिंसक केवल जैन हैं । वौद्ध भी जैनों की श्रेणी में नहीं पा सकते ।
लेखक-एडवोकेट ए० सी० बोस देहली। (१) जैन दर्शन प्राचीन है । इसकी श्रादि नहीं, जैसे इस जगत् की आदि नहीं है ।। .. (२) हिन्दुओं के पुराने नेताओं ने बड़ी इज्जत से जैनाचार्यों का नाम लिया है।
(३ ) जैनियों ने जीवों के एकेन्द्रिय आदि भेद ऐसे किये हैं जहां वर्तमान सायंस भी नहीं पहुंचा है।
(४) जैन तत्व ज्ञान वड़ा जबरदस्त है । . () सम्यग् दर्शन, सम्यग् ज्ञान, सम्पम् चारित्र मोद मार्ग है यही सत्य है ।