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ए चोक्कस. भरुकच्छनी उत्तरे आवेला भूततडागने लगती वार्ता (पृ. ११५) तथा बौद्धो अने जैनोनी स्पर्धाने लगती केटलीक वार्ताओ (दा. त. पृ. १७२-७३ ) ए पण लोककथाओ ज छे. पादलिप्ताचार्य (पृ. ९८ ) अने नटपुत्र रोहकनी (पृ. १५७-५८) हाजरजवाबीनी वातोमांनी केटलीक पछीना समयमा राजा भोज अने कवि कालिदास तथा अकबर अने बिरबलने नामे चढेली हाजरजवाबोनी वातो छे. चोरशास्त्रना प्रणेता गणायेला मूलदेवने लगती भिन्न भिन्न कथाओ (पृ. १४४-४८) पण लोकवार्ताओनी कोटिमां जशे; जोके मूलदेव पोते एक ऐतिहासिक व्यक्ति हशे एवं केटलाक विद्वानोनुं मंतव्य छे. अवंतिसुकुमाल, अशकटापिता, थावच्चापुत्र आदिनां कथानको जे खरेखर जैन पुराणकथा ( Mythology )ना अंश बनी गयां छे एमां पण लोकवार्तानां तत्त्वो मिश्रित थयां हशे एवं स्वाभाविक अनुमान थाय छे. जैन अने बौद्ध साहित्यमा लोककथाओ, ज धर्मकथाओमा रूपान्तर करवामां आव्युं छे ए सिद्ध हकीकत छे. आगळ वधीने एम पण कही शकाय के दुनियाभरनी पुराणकथाओ अने देवकथाओनो अनादिकाळथी लोककथाओ साथे संबंध रहेलो छे.
यादवकुळमां थयेला, बावीसमा तीर्थंकर अरिष्टनेमि अथवा नेमिनाथ विशेना उल्लेखो आ पुस्तकमां अनेक स्थळे (पृ. २४, ४९५०, ८०-८१, ९६, इत्यादि ) जोवामां आवशे. तेओ श्रीकृष्णना काकाना दीकरा हता. जैन साहित्यमां सर्वत्र यादवकुळनो इतिहास नेमिनाथना चरित्रनी आसपास गंथायेलो छे; ब्राह्मण पुराणोमां यादवोनो इतिहास मुख्य अंशोमां जैन साहित्यमां अपायेला वृत्तान्त साथे साम्य धरावे छे. मात्र नेमिनाथनो वृत्तान्त, तेमनो नामोल्लेख पण, एमां मळतो नथो ! जैन धर्मनी स्थापना महावीरे करी नहोतो, महावीर तो नवीन धर्मना प्रवर्तक करतां प्राचीन धर्मना सुधारक अने समुद्धारक हता. तेमनी पूर्वेना त्रेवीसमा तीर्थकर पार्श्वनाथ निःशंकपणे ऐतिहासिक
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