Book Title: Jain Sahitya ma Gujarat
Author(s): Bhogilal J Sandesara
Publisher: Gujarat Vidyasabha

View full book text
Previous | Next

Page 273
________________ २२० ] [ हेमचन्द्र मलधारी आगमोना नामांकित टोकाकारोमा मलधारी हेमचन्द्रनी पण गणना थाय छे. ' आवश्यक सूत्र' अने 'नंदिसूत्र' उपर टिप्पण तथा 'अनुयोगद्वार सूत्र' अने । विशेषावश्यक भाष्य ' उपरनी वृत्तिओ ए आ क्षेत्रमा एमनो मुख्य फाळो छे. विशेषावश्यक भाष्य 'नी वृत्तिनी रचनामा तेमणे पोताना सात सहायकोनां नाम आप्यां छे, जे एमना शिष्यसमुदायनी व्यक्तिओ होय एम जणाय छ : अभयकुमारगणि, धनवगणि, जिनभद्रगणि, लक्ष्मणगणि, विबुधचन्द्रमुनि. तथा आनंदश्री महत्तरा अमे वीरमती गणिनी ए बे साध्वीओ. मलधारी हेमचन्द्रे ‘विशेषावश्यक भाष्य' उपरनी, वृत्तिमा जिनभद्रगणि क्षमाश्रमणानी स्वोपज्ञ टीकानो उल्लेख कयों छे, एटले ए टीका ओछामा ओछु बारमा सैका सुधी तो विद्यमान हती ज. वळी आ सिवायनी पण बीजी बे प्राचीन टीकाओना हवाला तेओ आपे छे.. उपर्युक्त जीवसमास ' वृत्तिनी मलधारी हेमचन्द्रना हस्ताक्षरोमां लखायेली ताडपत्रीय प्रत खंभातमां शान्तिनाथना . भंडारमा छे, एटले मंत्री वस्तुपालनी जेम आ प्रकांड विद्वानना हस्ताक्षर पण अनेक शताब्दीओना अंतर पछी आपणने जोवा मळे छे. मंत्री वस्तुपालना हस्ताक्षरोमां सं. १२९० ई. स. १२३ ४ मां लखायेली ‘धर्माभ्युत्य' महाकाव्यनी साडपत्रीय प्रति पण खंभातमा ए ज भंडारमा छे. १ जुलो हर्षपुर. २ जैसाइ, पृ. २४६-४७ ३ ए न. एमना अन्य प्रन्यो माटे पण जुभो त्यां. ४ आ लक्ष्मणगणि ते प्राकृत ‘सुपार्श्वनाथचरित 'ना कर्ता छे. ५ जैसाइ, पृ. २४७ ६' विशेषावश्यक भाष्य,' श्रीसागरानंदसूरिनी प्रस्तावना, पृ. ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316