Book Title: Jain Sahitya ma Gujarat
Author(s): Bhogilal J Sandesara
Publisher: Gujarat Vidyasabha

View full book text
Previous | Next

Page 272
________________ हेमचन्द्र मलधारी ] [२१९ १ हेमचन्द्रकृत 'प्राकृत व्याकरण' : जंप्रशा, पृ. १३, २४, २६, ४१, १७७; 'देशीनाममाला ' : जंप्रशा, पृ. १२४ " अनेकार्थकोशः श्रार, पृ. १७५ 'त्रिशिलाका पुरुषचरित्र 'अंतर्गत पृ. १२७, १३४, १३६ ' महावीरचरित: ' ककि, पृ. १२५; , ' ऋषमदेव चरित्रः' अंप्रशा, शान्तिनाथचरित: जंप्रशा, पृ. १९७; " परिशिष्टपर्व: ' जंप्रशा, पृ. २८० द्वात्रिंशिका : ककि, पृ. १२५. अन्ययोगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका . मांथी मलयगिरि पण अवतरण आप्युं छे, जे मलयगिरिनो समय नक्की करवाम उपयोगी थाय छे ( जुओ मलयगिरि ). योगशास्त्रः श्रार, पृ. २०२ ग्रन्थनी नामोल्लेख कर्या विना हेमचन्द्रमाथी अवतरणः श्रामर, पृ. ७, ६२, १४९, इत्यादि " ८ , Jain Education International . 6 हेमचन्द्र मलधारी 6 हर्षपुरी ( मलधार ) ' गच्छना मुनिचन्द्रसूरिना शिष्य अभयदेवसूरिना शिष्य मलधारी राजशेखरसूरि सं. १३८७= ई. स. १३३१मां रचायेली पोतानी प्राकृत दयाश्रय 'वृत्तिमां जणावे छे तेम, हेमचन्द्र पूर्वाश्रममां प्रद्युम्न नामे राजसचिव हता अने तेमणे चार स्त्रीओ त्यजीनें अभयदेवसूरिना उपदेशथी तेमनी पासे दीक्षा लोधी हती. मलधारी हेमचन्द्रकृत ' जीवसमास ' विवरण सं. ११६४ ई. स. ११०८ मां, ' भवभावनासूत्र' सं. १९७० = ई. स. ११९४ मी अने ' विशेषावश्यक भाष्य' उपरनी बृहद्वृत्ति सं. १९७५ =ई. स. १९१९ मां रचायेल होई तेओ ईसवी बारमा शतंकना पूर्वार्धमां विद्यमान हता ए निश्चित छे. हेमचन्दना शिष्य श्रीचंद्रसूरि पोताना 'मुनिसुव्रतचरित 'नी प्रशस्तिमां जणावे छे ते प्रमाणे, राजा, सिद्धराज जयसिंह आ आचार्य प्रत्ये खूब भक्तिभाव राखतो हतो अने घणी वार तेमना दर्शन करवा माटे पोते ज तेमना उपाश्रयमां आवतो हतो. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316