Book Title: Jain Sahitya ma Gujarat
Author(s): Bhogilal J Sandesara
Publisher: Gujarat Vidyasabha
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सोपारक]
[ २०७ वच्चे मतभेद थयो हतो, जेमा छेवटे सुहस्तीए पोतानी भूलनो स्वीकार कर्यो हतो.'
__ आर्य महागिरिए गजाग्रपदमां' अनशन कर्यु त्यारपछी आर्य सुहस्ती पोताना शिष्यो साथे उज्जयिनी गया अने त्यां भद्रा नामे शेठाणीनी यानशाला-वाहनशालामां निवास को. त्यां भद्रानो अवंतिसुकुमाल नामे पुत्र एमनेा शिष्य थयो हतो.'
आर्य सुहस्तीना नीचे प्रमाणे बार शिष्यो हताः आर्य रोहण, भद्रयश, मेघ, कालर्षि, सुस्थित, सुप्रतिबुद्ध, रक्षित, रोहगुप्त, ऋषिगुप्त, श्रीगुप्त, ब्रह्मा अने सोम.
१ जुओ महागिरि आर्य, सम्प्रति. २ जुओ गजायपद. ३ जुओ अवन्तिसुकुमाल.
४ ककि, पृ. १६८ सोपारक
मुंबईनी उत्तरे थाणा जिल्लामा दरियाकिनारे आवेढं सोपारा.
आगमसाहित्यना उल्लेखो पण सोपारक समुद्र किनारे आवेलु होवान कहे छे.' त्यांनी सिंहगिरि राजा मल्लविद्यानो शोखोन हतो.' ___ सोपारक जैन धर्मनुं एक केन्द्र हतुं. आर्य समुद्र, आर्य मंगू अने वजूस्वामीना शिष्य वजसेन जेवा आचार्योनी ए बिहारभूमि हतुं, तथा नागेन्द्र, चन्द्र, निर्वृति अने विद्याधर-ए साधुओनी चार शाखाओ सोपारकथी प्रवर्ती हती.' __प्रसिद्ध शिल्पी कोकास सोपारकनो वतनी हतो अने त्यांथी पोतार्नु नसोब अजमाववा माटे उज्जयिनी आव्यो हतो.
सोपारकमां कलालो बहिष्कृत गगाता नहि होय, केम के आर्य समुद्रगना श्रावकोमा एक वैकटिक-दारू गाळनार पण हतो एवो
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