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कोरण्टक उद्यान ].
कोटयाचार्य
जिनभद्रगणिकृत 'विशेषावश्यक भाष्य 'ना विवरणकार. एमने ' आचारांग, ' ' सुत्रकृतांग' आदि उपर वृत्तिओ लखनार शीलाचार्यथी अभिन्न गणवामां आवे छे.
जुओ शीलाचार्य
कोरण्टक उद्यान
भरुकच्छनुं एक उद्यान. वोसमा तीर्थंकर मुनिसुव्रतस्वामी त्यां घणी वार समोसर्या' हता. कोरंटक आदि उद्यानोमां जईने देवतानी समक्ष आलोचना करी प्रायश्चित्त लेवानुं विधान छे. वादी देवसूरिकृत ' स्याद्वादरत्नाकर' ना मंगलाचरण उपरथी जणाय छे के आ उद्यान भरुकच्छना. ईशान खूणे आवेलुं हतुं.
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कोरंट अथवा कोरंटक एक वनस्पतिविशेष छे अने प्राकृत साहित्यमा एना उल्लेख छे (जुओ 'पाइअ सद महण्णवो' ). हेमचन्द्रना 'निघंटुशेष 'मां गुल्मकांडमां नरहरिकृत ' राजनिघंटु ' मां तेमज अन्य निघंटुओमां तेनो 'कुरंटक' तरीके उल्लेख छे. आ ' कोरंटक ' के 'कुरंटक ' ने गुजरातीमां 'कांटासेरियो' कहे छे. एनी जुदी जुदी चार जातो छे. 'निघंटु आदर्श 'ना कर्ता श्री. बापालाल ग. वैद्य ए विशे ता. १४-१२-५० ना पत्रमां मने लखे छे “ आप कोरंटक नामे उद्याननी वात करो छ। ए मारे माटे नवी माहिती छे, परन्तु आवो उद्यान होय तो नवाई जेवुं न कहेवाय. आ छोड़ अने तेमां ये एनी चारे जातो उद्यानमां होय तो एनुं दृश्य खरेखर रमणीय लागे तेवुं छे ज परन्तु आ छोड छे. बहु सारुं पोषण मळे तो गुल्मनी कोटिमां आवे परन्तु वृक्ष तो आ नथी ज-सघन छायादार वृक्ष तो नथी ज. परन्तु भरूचना ईशान खूणामां कोरंटक नामे उद्यान हतो ए माहिती मने खूब ज गमी छे. उथानमां बीजां वृक्षो तो होय ज, परन्तु आ
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