Book Title: Jain Sahitya ka Itihas 02
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 10
________________ विषय सची ะ * * * [ भूगोल खगोल विषयक साहित्य पृ० १ से ९३ ] जैन भगोल का परिचय पृ०२-६ मिलावट किसने की लोकविभाग श्वे जम्बूदीपपण्णत्ति तिलोयपण्णति ,, सूर्य प्रज्ञप्ति आधार चन्द्रप्रज्ञप्ति तिलोयपण्णत्ति में ग्रन्थोल्लेख १० ज्योतिष्करण्ड लोकायनी वृहत् क्षेत्र समास लोकविनिश्चय , वृहत् संग्रहणी लोकविभाग , त्रिलोकसार मूलाचार .. ,, टीका कुछ उल्लेखनीय मतान्तर जम्बूद्वीपपण्णत्तिसंग्रह विषय परिचय मिला रचयिता तथा गुरु परम्परा कर्ता और समय समयविचार तिलोयपण्णत्ति और तत्त्वार्थ- संस्कृत लोकविभाग वातिक५० रचनासमय [ द्रव्यानुयोग विषयक साहित्य ९३ से १७१ ] उद्गम ग्रन्थरचना आचार्य कुन्दकुन्द शैली और साषा कुन्दकुन्द सम्बन्धी कथायें ९७ अध्यात्मका उद्गम और के नाम प्रसार १३२ जन्मस्थान 'समय' शब्द का अर्थ १३६ , के गुरु १०४ व्यवहारनय और विदेहयात्रा १०८ निश्चयनय १३८ गिरनारपर विवाद समयसार का विषयपरिचय १४१ समयविचार पूज्यपाद देवनन्दि १५४ इष्टोपदेश डा० पाठक का मत ११२ समाधितंत्र १५६ कुन्दकुन्द और यतिवृषभ १२५ जोइदु-योगिन्दु १५९ परमात्म प्रकाश १६१ कुन्दकुन्दान्वय और मूलसंघ १२६ योगसार प्रेमीजी का मत १५५

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