Book Title: Jain Sahitya ka Itihas 02
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 11
________________ -७ १८८ . [ अध्यात्मविषयक टीका साहित्य १७२ से २०९ ] टीकाकार अमृतचन्दसूरि १७२ समयविचार १९१ रचनाये १७३ टीकाकार जयसेन १९२ विशेषतायें १७६ समयविचार १९३ समय १७८ प्रभाचन्द्रकृत टीका १९४ अमृतचन्द और देवसेन १८२ पद्मप्रभ मलधारिदेव १९६ , और पाहुडदोहा १८३ इष्टोपदेश टीका १९७ ,, और तत्त्वानुशासन १८४ टीकाकार ब्रह्मदेव देवसेन का तत्त्वसार १८६ परमात्म प्रकाशवृत्ति रचनाकाल १८७ उपाध्याय यशोविजय २०३ स्वरूपसम्बोधन अध्यात्मसार २०६ पअनन्दिकृत निश्चयपञ्चाशत् १९० अध्यात्मोपनिषद् २०८ __ [ तत्त्वार्थविषयक मूल साहित्य २१० से २७२ ] पञ्चास्तिकाय सूत्र और भाष्य में बिरोध २४१ उद्देश्य २१० तत्त्वार्थ सूत्र की उत्पत्तिकथा २४४ ग्रन्थका रूप तत्त्वार्थ सूत्र २४६ विषयपरिचय महत्त्व २४७ प्रवचनसार २१७ रचना शैली २४८ विषयपरिचय २१८ विषय परिचय २४८ नियमसार दो सूत्र पाठ २५१ विषयपरिचय २२२ भाष्य सम्मत सूत्र पाठ में गृद्धपिच्छ और उनका मतभेद २५६ तत्त्वार्थसूत्र २२६ रचना का आधार २६० उमास्वाति की परम्परा २२८ क्या भाष्य और सूत्रों का मूल सूत्र पाठ कौन २६८ कर्ता एक है ? रचना का समय २६९ [तत्वार्थविषयक टीका साहित्य २७३ से ३८१ ] आचार्य पूज्यपाद देवनन्दि २७३ तत्त्वार्थ भाष्य रचित ग्रन्थ २७७ सर्वार्थसिद्धि और भाष्य २९४ सर्वार्थसिद्धि २८० भाष्य में मतान्तर निर्देश २९६ सर्वार्थसिद्धि की रचना शैली २८१ भाष्य में आगमविरुद्ध सर्वार्थसिद्धि विशिष्ट चर्चाएं २८२ मान्यताएं २९७ समय २८८ भाष्य का रचनाकाल ३०० २११ २२१ २६६ २९४

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