Book Title: Jain Ling Nirnay
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Page 39
________________ [32] जैन लिंग निर्णय // मनुष्य अपने ऐब दबाने के वास्ते बांधता है वा ढकता है इस / रीति से किसी के घाव फोडा फुन्सी गुमडा आदि होते हैं उसी जगह पट्टी बांधी जाती है क्योंकि उस खन राद होनेसे दुगंध निकलती है इसलिये उसको पट्टीसे बांधते हैं परंतु अच्छी जगह पर कोई नहीं पट्टी बांधता है तीसरा और भी सुनो कि जो मुर्दे आदि का शरीर है उसको हिंदू वा मुसलमान सबकोई ढांककर अर्थात् दबाकर लेजाते हैं और जब विवाह आदि होता है तब बींद बोंदणी वा लाडा लाडी वा दुल्हा दुलहिन उनको सबकोई अच्छे 2 कपडे व जेवर आदि पहराय कर बाजारों में व गलियों में हाथी घोडे पालखी तामजाम आदि अनेक सवारियों पै खुले हुवे लेजाते हैं कोई उनको ढककर नहीं लेजाते हैं चौथा और भी सुनो कि जो महतर भंगी आदिक पाखाना साफ कर मैला उठायकर ले जाते हैं वेभी उस मैले को कचरा चारा खोडी से ढांक कर ले जाते हैं अथवा गृहस्थी के बालक आदि झाडे जाते हैं उसको भी राख गेर कर ढांक देते हैं अथवा कोई म्लेच्छ आदि बुरी वस्तु को बाजार आदि में ले जाते हैं तो वोभी ढांक कर ले जाते हैं इसलिये हे भोले भाईयो जो तुम लोग कहते हो कि अच्छी चीज का मुख ढोका जाता है मो ऊपर लिखे प्रत्यक्ष प्रमाणों से अच्छी चीजका बंधना नहीं बने किंतु खोटी का ही बांधना बनता है इसलिये कुमति को निवारो सुगति को सम्मोरो मनुष्य जनम मत हारो संगत सेली को धारो ये मानो बचा हमारो छोड़ो कुगुरु कोचारो कुलिंग कू छोड़ कर सुलिंग कू धारो जिस से होय तुम्हारो निस्तारो इस बात को सुनकर मुंह बांधने वाला कहने लगा कि आप कहते हो सो ठीक है परन्तु वायुकाय की हिंसा नहीं होती तो मुपत्ती किस वास्ते कही है? उत्तर भोदेवानु प्रिय! हमने तुम्हारे को सूत्र का पाठ लिख कर दिखाया तो भी | तुम्हारी समझ में न आया नाहक झगड़े को मचाया तुम को | कुगुरू ने कैसा भरमाया हमने इतनी तुमको युक्ति और प्रमाण बत

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