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वीर ज्ञानोदय ग्रंथमाला
हिमवान पर्वत का वर्णन
हिमवन नामक पर्वत १०५२१ योजन ( ४२१०५२६ मील) विस्तार वाला है । इस पर्वत पर पद्य नामक सरोवर है । यह सरोवर १००० योजन लंबा, ५०० योजन चौड़ा एवं १० योजन गहरा है। इसके श्रागे-मागे के पर्वतों पर क्रम से महापद्य तिगिच्छ, केशरी, पुंडरीक, महापुंडरीक नाम के सरोवर हैं । पद्य सरोवर से दूनी लंबाई, चौड़ाई एवं गहराई महापद्य सरोवर की है । महापद्म से दूनी तिमिच्छ की है। इसके आगे के सरोवरों की लम्बाई, चौड़ाई एवं गहराई का प्रमाण क्रम से आधा - प्राधा होता गया है । इन सरोवरों के मध्य में क्रमशः १, २ एवं ४ योजन के कमल हैं। वे पृथ्वीकायिक हैं । उन कमलों पर श्री, ही, धृति, कीर्ति, बुद्धि एवं लक्ष्मी ये ६ देवियाँ अपने परिवार सहित निवास करती हैं। देखिये - चार्ट नं० २ ) ।
गंगा आदि नदियों के निकलने का क्रम
पद्मसरोवर के पूर्व तट से गंगा नदी एवं पश्चिम तट से सिंधु नदी निकली हैं। गंगा नदी पूर्व समुद्र में एवं सिंधु नदी पश्चिम समुद्र में प्रवेश करती हैं। ये दोनों नदियां भरत क्षेत्र में बहती हैं। तथा इसी पद्म सरोवर के उत्तर तट से रोहितास्या नदी निकल कर हैमवत क्षेत्र में चली जाती है ।
महापद्म सरोवर से, रोहित एवं हरिकांता ये, दो नदियां निकली