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वीर ज्ञानोदय ग्रंथमाला
किन्तु यदि सम्यग्दर्शन को प्राप्त कर मरते हैं तो शुभ परिणाम से मरकर मनुष्य भव में आकर दीक्षा आदि उत्तम पुरुषार्थ के द्वारा कर्मों का नाश कर मोक्ष को भी प्राप्त कर लेते हैं।
देवगति में संयम को धारण नहीं कर सकते हैं एवं संयम के बिना कर्मों का नाश नहीं होता है। अतः मनुष्य पर्याय को पाकर संयम को धारण करके कमों के नाश करने का प्रयत्न करना चाहिए। इस मनुष्य जीवन का सार संयम ही है।
• योजन एवं कोस बनाने की विधि
पुद्गल के सबसे छोटे अविभागी टुकड़े को परमाणु कहते हैं। ऐसे अनंतानंत परमाणुषों का १ अवसन्नासन्न ८ प्रवसन्नासन्न का
१ सन्नासन्न . ८ सन्नासन्न का
१ त्रुटिरेणु ८ त्रुटिरेणु का
१ त्रसरेणु ८ त्रसरेणु का
१ रथरेणु ८ रथरेणु का उत्तम भोग भूमियों के बाल का १ अग्र भाग उत्तम भोग भूमियों के बाल मध्यम भोग भूमियों के बाल के ८अग्र भागों का
का १ अग्र भाग
मध्यम भोग भूमियों के बाल । जघन्य भोग भूमियोंके बाल के ८ मन भागों का
का १ अग्र भाग