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जैन. ज्योतिर्लोक,
अन्तद्वीपों का वर्णन
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इस लवण समुद्र के दोनों तटों पर २४ अन्तद्वीप हैं । (चार दिशाओं के ४ द्वीप, ४ विदिशाओं के ४ द्वीप, दिशा- विविशा
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की अन्तरालों के द्वीप, हिमवन और शिखरी पर्वत के दोनों तटों के ४ ओर भरत, ऐरावत के दोनों विजयाद्धों के दोनों तटों के ४ इस प्रकार : - ४+४+६+४+४=२४ हुये 1 )
ये २४ अन्तद्वप लवण समुद्र के इस तटवर्ती हैं एवं उस तट के भी २४ तथा कालोदधि समुद्र के उभयतट के ४८, सभी मिलकर ९६ अन्तर्दोष कहलाते हैं। इन्हें हो कुभोग भूमि कहते हैं ।
कुभोग भूमियां मनुष्य का वर्णन
इन द्वीपों में रहने वाले मनुष्य, कुभोग भूमियां कहलाते हैं । इनकी आयु असंख्यात वर्षों की होती है ।
पूर्व दिशा में रहने वाले मनुष्य - एक पैर वाले होते हैं।
पश्चिम
- पूंछ वाले होते हैं ।
दक्षिण
- सींग वाले होते हैं ।
उत्तर
- गे होते हैं ।
एवं विदिशा भादि संबंधि सभी कुभोग भूमियां कुत्सित रूप,
वाले ही होते हैं ।
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