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जन ज्योतिलोंक
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शनि के विमान स्वर्णमय, ५०० मोल विस्तृत एवं २५० मील मोटे हैं । अन्य वर्णन पूर्ववत् है । __ नक्षत्रों के नगर विविध-२ रत्नों से निर्मित रमणीय मंद किरणों से युक्त हैं । १००० मील विस्तृत व ५०० मील मोटे हैं। ४-४ हजार वाहन जाति के देव इनके विमानों को ढोते हैं। शेष वर्णन पूर्ववत् है।
तारामों के विमान उत्तम-२ रत्नों से निर्मित, मंद-२ किरणों से युक्त, १०००, मील विस्तृत, ५०० मील मोटाई वाले हैं। इनके सबसे छोटे से छोटे विमान २५० मील विस्तृत एवं इससे आधे वाहल्य वाले हैं।
सूर्य का गमन क्षेत्र
पहले यह बताया जा चुका है कि जंबूद्वीप १ लाख योजन (१०००००४४०००-४०००००००० मील) व्यास वाला है एवं वलयाकार (गोलाकार) है।
सूर्य का गमन क्षेत्र पृथ्वीतल से ८०० योजन (८००x४००० -३२००००० मील) ऊपर जाकर है।
वह इस जंबूद्वीप के भीतर १८० योजन एवं लवण समुद्र में ३३०१६ योजन है अर्थात् समस्त गमन क्षेत्र ५१०१६ योजन या २०४३१४७६३ मील है।