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वीर ज्ञानोदय ग्रंथमाला दक्षिणायन, माघकृष्णा १ को उत्तरायण। चौथो वर्ष-श्रावण कृष्णा ७ को दक्षिणायन, माघ कृष्णा १३ को उत्तरायण । पांचवे वर्ष-श्रावण शुक्ला ४ को दक्षिणायन, माघ शुक्ला १० को उत्तरायण होता है।
पुनः छठे वर्ष से उपरोक्त व्यवस्था प्रारम्भ हो जाती है अर्थात्-पुनः श्रावण कृष्णा १ के दिन दक्षिणायन एवं माघ कृष्णा ७ को उनरायण होता है । इस प्रकार ५ वर्ष में एक युग समाप्त होता है और छठे वर्ष से नया युग प्रारम्भ होता है। इस प्रकार प्रथम वीथो से दक्षिणायन एवं अन्तिम वाथो से उत्तरायण होता है।
सूर्य के १८४ गलियों के उदय स्थान सूर्य के उदय निषध और नोल पर्वत पर ६३ हरि और रम्यक क्षेत्रों में २ तथा लवण समुद्र में ११६ हैं। ६३+२ ११६=१८४ हैं । इस प्रकार १८४ उदय स्थान होते हैं । चन्द्रमा का विमान, गमन क्षेत्र एवं गलियां
चन्द्र का विमान योजन (३६७२६, मील) व्यास का है । सूर्य के समान चन्द्रमा का भो गमन क्षेत्र ५१०६६ योजन है । इस गमन क्षेत्र में चन्द्र को १५ गलियां हैं। इनमें वह प्रतिदिन क्रमशः एक-एक गली में गमन करता है। चन्द्र बिंब के प्रमाण
योजन को ही १-१ गली हैं अत. समस्त गमन क्षेत्र में चन्द्र