Book Title: Jain Jyoti
Author(s): Jyoti Prasad Jain
Publisher: Gyandip Prakashan

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Page 9
________________ प्रकाशकीय आज यह कृति वर्तमान और भावी शोधार्थियों के हाथों इस रूप में प्रस्तुत करते समय हमारे मन में दुःख और सुख की मिलीजुली अनुभूति है। दु:ख इस बात का है कि अपनी साबिक ५० वर्ष की साहित्य शोध साधना के इस प्रसाद को इस रूप में देखने के लिये इसका निर्माता आज नहीं है। क्रूर काल ने उन्हें हमसे छीन लिया है । अपने महाप्रयाण से बन्द दिनों पूर्व जब उन्होंने इसका आमुख पूर्ण किया तो उन्हें भी यह विश्वास नहीं था कि वह इतनी जल्दी हमसे विमुख हो जायेंगे। उनकी इच्छा इस कृति को वीर शासन जयन्ती तर्क प्रकाशित कर देने की थी । वह इसका परिशिष्ट तैयार कर रहे थे। सन्तोष गौर प्रसन्नता का विषय है कि हम उनके द्वारा कागज की चिटों पर छोड़े गये संकेत सूत्रों के आधार पर अधूरा परिशिष्ट पूरा कर सकने में और यह पुस्तक उनकी अभीप्सित तिथि तक प्रस्तुत करने में यत्किचित सफल हो सके हैं। 'ऐतिहासिक व्यक्तिकोश' का यह मात्र प्रथम खण्ड है । शोधार्थियों के लिए इसकी क्या आवश्यकता, उपयोगिता और महत्व है इस सम्बन्ध में रचनाकार पिताश्री ' इतिहास-मनीषी' 'विद्यावारिधि डा० ज्योति प्रसाद जैन जी मे अपने मुख में प्रकाश डाला है। सामान्य पाठकों के लिये भी यह एक महत्वपूर्ण ज्ञान भण्डार है । आशा और विश्वास है कि प्रबुद्ध जन इससे लाभान्वित होंगे बोर हमें डाक्टर साहब के इस महाग्रन्थ को आगे शनैः शर्मः खण्डों में प्रकाशित करने के लिये प्रेरित करेंगे । इस ग्रन्थ को इस तत्परता से प्रकाश में लाने का पूरा श्रेय रत्नज्योति प्रे h अविष्ठाता श्री नलिन कान्त जैन को है। चि० संदीप कान्त और चि० अंशु चैन 'अमर' की प्रेरणा भी इसमें सहायक रही है । पर्याप्त सावधानी बरतने पर भी यदि मुद्रण आदि में कोई त्रुटि रह गई हो उसके लिये हम समार्थी हैं। पीर शासन जयन्ती ३० जुलाई १९०० ई० शशिकान्त रमाकान्त जैन

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