Book Title: Jain Jati Nirnay Prathamank Athva Mahajanvansh Muktavaliki Samalochana
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

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Page 63
________________ बोत्थरा. यतिजीके लेखानुसार बोत्थरोंकी वंसाबलीका समय और चितोडके समान सावंतसिंह देवडा वि. स. ११४७ ०.००.०० राणो सागरदेवडो ,, ,, ११७२........गणो रत्नसिंह राणो बोहित्थ बोथरो,, ,, ११६७........राणो रायमल जैन सीमधर बोत्थरो .., तेजपाल ,, गुजरातको ठेके-इजारे लीवी तथा कुशलसूरिका पद महोत्सव किया वि० स० १३७७ , बल्हा ००० ००० ,, कडवाशा पाटण पाछी दीनी जिनेश्वरसूरिका पद महोत्सव १४३२ में आगे तीन पीढीका नाम यतिजीको | याद नहीं , जेसल " वछराज-- . रावरडमल - अब बोत्थरोके समयके साथ चीतोड के गणों के समयका भी मीलान कीजीये Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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