Book Title: Jain Jati Nirnay Prathamank Athva Mahajanvansh Muktavaliki Samalochana
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala
View full book text
________________
(AP)
बोत्रा.
परं बोथरा निजर उठाके उस ख्यांतको न देखे वहांतक यतिजीकी पोल चलेगा. यतिजीको इतनासेही संतोष नहीं हुवा |
आगे बोत्थरोकी ख्यातमें लिखते है कि दादाजी बोहित्थसे कहा कि तुमारा आयुष्य कम रहा हैं उस समय चित्तोडका राणा रायमल पर दीली का बादशाह चढ आया था चितोड का राणाने बोहित्थकों बुलाया तब आबुका राज जो जैनी नहीं हुवा था उस श्री कर्णको दे चितोड गया संग्राम में बादशाहको पराजयकर आप भी मर गया वह हनुमत वीर होके दादाजीकी सेवामे आगया. + + श्री कर्णके चार पुत्र सीमधर वीरदास हरीदास और उद्धरण + + एकदा श्री कर्ण बादशाहका मच्छेन्द्रगढ़ छीन लीया + + बादशाहाका खजाना जाता हुवाकों लुट लीया + बादशाह फोज ले आया संग्राम श्री कर्ण मारा गया तब राणी अपने चारों पुत्रों को ले भपने पीहर खेडीपुर आगई देवीकी प्रेरणासे खरतराचार्य के पास जैनधर्म स्वीकार कीया चारों पुत्रं व्यापार करने लगे धनाढ्य हुवा शत्रुंजयका संघ निकाला + सीमधरके पुत्र तेजपाल गुजरात ठेके ( इजारे ) लेली और जिनकुशलसूरिका पद महोत्सव कीया तेजपाल का पुत्र बल्हा - बल्हाका पुत्र कडवाशा हुवा + चितोडपर मांडवगढका बादशाह चढ श्राया कडवाशा चितोड जाके आपसमें मेल करवा दीया तब राणा कडवाशाको मंत्रीपद दीया + कडवाशा गुजरात गया पाट्टण पाछी सुप्रत करदी वि. १४३२ जिनेश्वर सूरिका पद महोत्सव कीया मागे कडवाशाके तीन पीढीका नाम याद नहीं चोथी पीढीमे जेसल हुवा इनके वछराज. वछराज मडोरके राव रडमलजीके मंत्री बन गया रङमलजीको चितोडका राणा कुंभाने दगासे मारा तब वछराज अपनी अकलसे जोधाजी को वचाके मंडोर ले आये आगे वीकानेरके वछावतो की पीढीयो जोड दी हैं इत्यादि
समालोचना - कहांतो राणा रायमलका समय, कहां बोहित्थ और दादाजी का समय. कहां राव रडमलका समय, कहां राणा कुंभाका समय क्या यतिजी सदैव नशामे ही रहते थे ।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com