Book Title: Jain Jati Nirnay Prathamank Athva Mahajanvansh Muktavaliki Samalochana
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

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Page 98
________________ 'जैन जाति महोदय' नामकी किताब तय्यार हो रही है जिसकी विषय सूची. (१) जैन धर्म अनादि कालसे प्रचलीत है जीसमें वर्तमान चौवीस तीर्थकरो का वर्णन । (२) भगवान पार्श्वनाथ प्रभुकी परम्परा से आज तक आचायोंकी बृहत्पट्टावलि और जैन जाति बन्धारण की शरुआत । (३) जैन जातियों द्वारा देशसेवा, राजसेवा, समाजसेवा, धर्मसेवा और उनके प्राचीन वंशावलियों, मूल गौत्र, शाखा--प्रतिशाखाओंका वर्णन । (४) जैनधर्मोपासक राजा-महाराजाओं द्वारा देशोन्नति और शान्ति का साम्राज्य । (५) जैनधर्मोपासक मंत्री, महामंत्री, दीवान, प्रधानादि पदाधिकारियों से देशोन्नति। (६) जैनधर्मोपासक रणकुशल, संधिकुशल वीर योद्धाओं की विजयपताका और वीर योद्धाओं के पीछे वीराङ्गनाओं की सती होने की लोकप्रथा । (७) जैनधर्मोपासक व्यापारीयों के जरिये देश-विदेश में न्यापारोन्नति । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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