Book Title: Jain Jati Nirnay Prathamank Athva Mahajanvansh Muktavaliki Samalochana
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

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Page 80
________________ ( ७२ ) कमलागच्छ. बालीया, संघवी, सोनावत, सेलोत, भात्रड़ा, लघुनाहटा, पंचवया, हुडिया, टाटीया, ठगा, लघुचमकीया, बोहरा, मीठडीया, मारू, रणधीरा, ब्रह्मेचा, पाटलीया, वानुणा, ताकलीया, योद्धा, धारोला, दुद्धिया, बादोला, शुकनीया. एवं ५२ जातियों बाफरणोंसे निकली. इसमें भाई है । ( ३ ) मूलगौत्र करणावट- -करणावट, वागडिया, संघवी, रणसोत, आच्छा, दादलिया, हुना, काकेचा, थंभोरा, गुदेचा, जीतोत, लाभांणी, सखला, भीनमाला, एवं करणावटोंसे १४ साखाओं निकली वह सब आपस में भाई है । " (४) मूल गौत्र बलाहा - बलाहा, रांका, वांका, शेठ, शेठीया, छावत, चोधरि लाला, बोहरा, भूतेडा, कोटारी, लघु रांका, देपारा, नेरा, सुखिया, पाटात, पेपसरा, धारिया, जडिया, सालीपुरा, चितोडा, हाका, संघवी, कागडा, कुशलोत, फलोदीया एवं २६ साखाओ बलाहा गोत्रसे निकली वह सब भाई है । (५) मूलगौत्र मोरख - मोरन, पोकरणा, संघवी, तेजारा, लघुपोकरणा, वांदोलीया, चुंगा, लघुचुंगा, गजा, चोधरि, गोरीवाल, केदारा, वातोकडा, करचु, कोलोरा, शीगाला, कोटारी एवं १७ साखाओं मोरखगोत्रसे निकली वह सब लाई है । (६) मूलगौत्र कुलहट - कुलहट, सुरवा, सुसाणी, पुकारा, मसांणीया, स्नोडीया, संघवी, लघुसुरवा, बोरडा, चोधरी, सुरा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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