Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 12 Author(s): Nathuram Premi Publisher: Jain Granthratna Karyalay View full book textPage 3
________________ जैनहितैषी। श्रीमत्परमगम्भीरस्याद्वादामोघलाञ्छनम् । जीयात्सर्वज्ञनाथम्य शासनं जिनशासनम् ॥ - ११ वाँ भाग १ आश्विन, वीर नि० सं० २४४१। अंक १२. उपदेशसिद्धान्तरत्नमाला और षष्ठिशतप्रकरण । (एक खोज) पाठक उपदेशसिद्धान्तरत्नमाला नामक ग्रन्थसे PETERAN परिचित होंगे । स्वर्गीय पं० भागचन्द्रजीने विक्रम संवत् १९१२ में इसकी एक भाषावचनिका लिखी है और वह कुछ परिवर्तितरूपमें पं० जयचन्द्र श्रावणे द्वारा वर्धामें छप भी चुकी है । मूल ग्रन्थ प्राकृतमें है। उसमें १६१ गाथायें हैं । नेमिचन्द्र भण्डारी नामके विद्वान् उसके रचयिता हैं । जैनधर्मके साधु निस्पृही और परिग्रहादिसे रहित होते हैं, वे चैत्यों या नगरों में नहीं रहते-बाहर वसतिकओंमें रहते Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 100