Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 04 05
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 5
________________ १९५ आवश्यकता है। श्रमसे न डरनेसे ही आत्मविश्वास और स्वाधीनता प्राप्त होती है । जो लोग दूसरोंकी उन्नतिके लिए यत्न करते हैं जो लोग दूसरोंकी सुखी करनेमें अपना समय व्यतीत करते हैं-वे ही मुखी और भाग्यवान् हैं।" ३--" शिक्षाकी सफलताके लिए ज्ञानेन्द्रिय, अन्तःकरण और कर्मेद्रियकी एकता होनी चाहिए । जिस शिक्षासे श्रमके विषयमें घृणा उत्पन्न होती है उससे कोई लाभ नहीं होता।" बुकर स्कूलमें पढ़ने और बोरडिंगमें रहनेका खर्च न सकता था, इस लिए वह स्कूलमें द्वारपालकी नोकरी करके और छुट्टीके दिनोंमें शहरमें मजदूरी या नौकरी करके द्रव्यार्जन करता था। इस प्रकार स्वयं परिश्रम करके अपने आत्मविश्वासके बलपर उसने हैम्पटन स्कूलका क्रम पूरा किया। उसका नाम पदवीदानके समय माननीय विद्यार्थियोंमें दर्ज किया गया ग्रेजुएट होनेके बाद वाशिंगटन अपने घर लौट आया और वहाँ एक नीग्रो-स्कूलमें शिक्षकका काम करने लगा। कोई दोवर्ष तक यहकाम करके वह शिक्षाविषयक ज्ञान प्राप्त करनेके लिए. वाशिंगटन शहरमें आठ महिने रहा। वहाँ उसने नीग्रो लोगोंकी सामाजिक दशाके सम्बन्धमें बहुतसा ज्ञान प्राप्त किया। इसके बाद उसने हैम्पटन स्कूलमें दो वर्षतक शिक्षकका काम किया और एक सुप्रसिद्ध शिक्षक हो गया। ___ सन् १८८१ में, अलाबामा रियासतके टस्केजी नामक ग्रामके निवासियोंने एक आदर्शस्कूल खोलना चाहा और इसके लिए उन्होंने मि० वाशिंगटनको अपने यहाँ बुला लिया। वहाँ पहुँचकर वाशिंगटनने दो महिने तक उस प्रदेशके निवासियोंकी सामाजिक और आर्थिक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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