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जैन-गौरव-स्मृतियों
इसके सिवाय समय २ पर भोपाल, पन्ना, झालरापाटण, सिरोही, मांगरोल आदि स्टेटों को रेल्वे सम्बन्धी सलाह देने का काम करते रहे हैं।
सन् २७ में वायसराय लॉर्ड इरविन कच्छ में पधारे, सब कन्छ स्टेट ने भाष नगर स्टेट से आपको २ वर्ष के लिये मांगा। आपने वहां जाकर रेल्वे सन्बन्धी जिस योग्यता का प्रदर्शन किया उससे स्वयं वायसराय महोदय भी काफी प्रसन्न हुए । सम् १६३० में भावनगर स्टेट ने यूरोप के रेल्वे की विशेष अनुभव प्राप्त व.रने के लिए यूरोप भेजा । सन् १९३२ अ०भा० स्था० जैन कान्फ्रेन्स के अजमेर अधिवेशन के पाप अध्यक्ष मनोनीत किये गये । इस अधिवेशन में करीव ६० हजार मनुष्य एकत्रित हये थे। दो मील लम्बा तो अध्यन का जुलूस था । श्राप आठ वर्ष तक कान्फ्रेन्स के अध्यक्ष रहे । अब भी यथा शक्ति समाज सेवा के कामों में भाग लेते रहते हैं।
___सन १६४६-४८ तक दी ग्लोरी इन्शुरन्स कं. के प्रारगेनाइजिंग डायरेक्टर व जनरल मैनेजर रहे । सन् ४६-५८.सोराष्ट्र रेल्वे में स्पेशियल इजिनियर का कार्य किया। अध्यात्म विद्या की ओर आपकी बड़ी मचि है । श्रापकी धर्मपत्नी श्रीमती नवल गौरी बहिन भी एक आदर्श महिला हैं । घाटकोपर में अ. भास्या जैन कान्फ्रन्म के समय हुई महिला परिषद की अाप प्रमुख थी। :.. ..... *श्री शाहनिहालचन्द भाई सिद्धपुर
जन्म सं० १६६४ के फागण वद ४ को सिद्धपुर तालुका के नाग' वाशग. में हुया । आपका सिद्धपुर में श्री जवाहिर पल्स मिल चल रहा है। दो दुकान
सिद्धपुर तथा एक दुकान जोरावर नगर में चल रही है। गंज बाजार ग्रेन मरः चंट असोसियेशन के प्रमुख, जनरल ट्रेड थसोसियेशन महसाणा प्रान्त,दाल एसो. सियेशन आदि के डायरेक्टरहै । नया एक सूत मिल के त्रोकर हैं। सामाजिक धार्मिक तथा राष्ट्रीय विचार भी प्यापक . अच्छे हैं। आपके पिता श्री के नाम से । श्रापने जोरावर नगर में एक पुस्तकालय खोला है
. श्रापका कारोवार "शार चन्द्रकान्त .. हापामाई और सेट निहालचन्द लानचंद . ... के नाम से पलाया है।
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