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: जैन-गौरवस्मृतियां
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र प्रकृति के शिक्षा व सुधार प्रेमी व्यक्ति हैं। आपने अपने दादाजी के ओसर के समय ३१ हजार रुपये जैन वोडिंग हाउस फन्ड में दिया । इसी प्रकार हजारों रुपये की सहायता आपने शुभ कार्यों में की । बाबू सुगनचन्दजी लूणावत द्वारा स्थापित महावीर मण्डल नामक संस्था से आप विशेप प्रेम रखते हैं। आपको पहलवान और गवैया आदि रखने का बड़ा शौक है। आप १६२१ तक धामन गाँव के आनरेरी मजिस्ट्रट रहे । आपके मुकुन्दीलालजी और कुःखीलालजी नामक दो पुत्र हैं। आपके यहाँ कृषि का विशेष कार्य होता है । वरार प्रान्त के प्रतिष्ठित कुटुम्बों में इस परिवार की गणना है। *श्री सेठ राजमलजी पूसमलजी कोठारी-बोरी अरव ( यवतमाल )
वर्तमान में फर्म के मालिक श्री सुगनचन्दजी एवं उत्तमचन्दजी हैं। श्री सेठ सुगनचन्दजी मिलन सार. चतुर और सफल व्यवसायी हैं । .. आप बड़ी ही योग्यता से फर्म का संचालन कर
रहे हैं। आपके श्री प्रेमचन्द और श्री शरदचन्द्र नामक दो पुत्र और विजयकुमारी नामक पुत्री है । श्री प्रेमचन्दजी हाई स्कूल में अध्ययन कर रहे हैं आप होनहार युवक हैं।
श्री उत्तमचन्दजी-आपने अपनी १७ वर्षकी आयु में ही राष्ट्रीय कायों में भाग लेना शुरु कर दिया था। राष्ट्र और समाज के हित जीवन को ही
आप जीवन समझते हैं एवं अपना जीवन भी .... उपरोक्त आदर्श के असुसार ही व्यतीत करते हैं । स्थानीय जनहित के सार्वजनिक सामाजिक एवं साहित्य सम्बन्धी सभा संस्थाओं के आप केन्द्र हैं । अभी आप ३३ वर्षीय युवक हैं पर काफी लोकप्रिय और सम्मानित हैं । आप कई बार जेल यात्रा भी कर आये हैं।
आप दोनों वन्धु बड़े प्रेम के साथ रहते हैं। अपनी पूज्य दादीजी के श्राज्ञा नुसार कार्य करते हैं। श्री उत्तमचन्दजी "दी न्यू इण्डिया इंडिस्ट्रिज एण्ड एजेन्सी लिमिटेड के डायरेक्टर हैं।
* श्री सेठ बन्सीलालजी कटारिया-हिंगनघाट '. श्रीयुत सेठ चुन्नीलाल के सुपुत्र श्री वन्शीलालजी रणासी गांव वाले मगन मलजी के यहाँ से सं० १६८१ में गोद आये । श्री वंशीलालजी धर्म प्रेमी उद्धार लि और मिलनसार सज्जन हैं।
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