Book Title: Jain Gaurav Smrutiya
Author(s): Manmal Jain, Basantilal Nalvaya
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 761
________________ नगौरव-मतिय ... .. ........। ___ * मेठ मोहनमलजी चौरडिया, मद्रास . बुचेरा (जोधपुर स्टेट) निवासी सेठ अगरचन्दी दिला मार्ग द्वारा १८५७ में जालना होते हुए मद्रास आये । सन् १८८० तक रजिमेंटल बैङ्कर्म का काम करते रहे यहां के व्यापारिक समाज में ए/श्राफ सरों में बड़े अादरणीय समझे जाते थे। यापक कोई पुत्र नहीं हुआ अतः आपने उयष्ट भ्राता चतुर्भुजी के पुत्र सेठ मानमल जा को अपना उत्तराधिकारी बनाया। सेठ अगरचन्दजी ने ७० हजार के दान से अगर चन्द दून्ट कायम किया जो धामिक तथ म जक क या में उप में आता है। सेठ मानमलजी एक मेधावी बुद्धि के सज्जन थे। यही कारण है कि कंवत्ज्ञ १६ वर्ष की अल्पायु में ही आप नांवा कुचामनरोड़) में हाकिम बना दिये गये थे । आपको होनहार समझकर अगरचंद जी ने अपनी फर्म का उत्तराधिकारी बनाया था लेकिन २८ वर्प की अल्पायु में सन् १८६५ में आप स्वर्गवासी हो गए । आपके यहां सेठ मोहनलालजी सन् १८६६ में दत्तक आए। आपके बाद नोखा (मार. वाड़) के सेठ मोहनलालजी वर्तमान में इस फर्म के मालिक है। आपके हाथ से इस फर्म की विशेष उन्नति हुई है। आपके दो पुत्र हैं । जो अभी अध्ययन कर रहे हैं । यह फर्म यहां के व्यापारिक समाज में बहुत पुरानी प्रतिष्ठित मानी जाती है। मद्रास प्रान्त में आर के सात आठ ग्राम जमीदारी के हैं। मद्रास की ओसवाल समाज में इस परिवार की अच्छी प्रतिष्ठा है । जैन समाज में आप अग्रणीय महानुभावों में से हैं । शिक्षा तथा सामाजिक सेवाओं के लिए आप सर्वदा तत्पर रहते है। तथा समय समय पर मुक्त हस्त से सहायता करते रहते हैं। अगर चन्द मानमल" के नाम . साहुकार पैंट मद्रास में वैङ्किग तथा प्रापर्टी पर रुपया देने का काम होता है । आप की फर्म मद्रास के प्रोसवाल समाज की प्रधान धनिक फर्मों में से है। * सेट सुखलालजी वहादुरमलजी कानमलजी समदड़ियामद्रास मा श्री सेट भैस्वती के बड़े पुत्र श्री सुखलालजी, धर्मिष्ट परोपकारी और कुशल व्यापारी थे साहकार पेठ के मन्दिर की प्रतिष्ठा में आप का अति शय सह

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