Book Title: Jain Gaurav Smrutiya
Author(s): Manmal Jain, Basantilal Nalvaya
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 759
________________ avanatimamimaavrawimire १४ . .. सेठ मिलापचन्दजी यांचलिया कु. जबरचन्दजी आंचलिया __अापके ४ पुन है... श्री जबर चन्दजी, उत्तमचन्दजी गौतम चन्दजी व प्रकाशचन्दजी । श्री जवरचन्द जी एक उत्साही युवक है । 'गुजरमल कनकमल' के नाम । ' से साहूकारी लेन देन व बैकिंग का व्यवसाय होता है। *श्री पारसमलजी च नेमीचन्दजी टिंसकलेचा डिवरम् Re . 2001 intaineeriasisatists E24 श्री पारसमलजी सकलेचा टिडिवरम् श्री नेमीचन्दजी सकलेचा टिडिवरम

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