Book Title: Jain Gaurav Smrutiya
Author(s): Manmal Jain, Basantilal Nalvaya
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 674
________________ + जैन-गौरव-स्मृतियाँ ★सेठ देवेन्द्र कुमारजी पाटनी, छिंदवाड़ा . • मारोठ ( मारवाड़) से सेठ कचोरीमलजी व आपके भ्राता सुखलालजी यहाँ आए और अपनी फर्म स्थापित कर व्यवसाय प्रारम्भ किया। श्री सुखलालजी ने व्यापार में खूब तरक्की की। आपको "राय साहब" की पदवी भी थी। स्थानीय सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्रों में आपका बडामान था । आपके पुत्र राया साहब श्री सेठ लालचन्दजी ने काफी धन व प्रतिष्ठा प्राप्त की । छिन्दवाड़ा हाईस्कूल व व्हीमेन्स हॉस्पिटल जो लाखों की लागत से बने हैं के बनाने का भी बहुत कुछ श्रेय आपको है। - - ' आपके सुपुत्र श्री देवेन्द्रकुमारजी का धार्मिक संस्थाओं धर्म कर्म व नियमित ईश्वर आराधना में पूर्ण विश्वास है। आपही के उदार सहयोग व प्रयत्न से एक विशाल जैनमन्दिर बना । तथा एक धर्मशाला और पाठशाला बनाने का भी पूरा उपक्रम तैयार है । आपकी धर्म पनि श्रीमती मलखू देवी भी सार्वजनिक कार्यों में काफी दिलचस्पी लेती है। आप स्थानीय गर्ल्स हाईस्कूल कमेटी की प्रेसीडेन्ट एवं सुधारक विचारों की जाग्रत महिला है। आपके श्री शान्ति कुमार और महेन्द्रकुमार नामक दो पुत्र हैं ।म्युनिसिपल अध्यक्ष होने का दो बार सौभाग्य प्राप्त हुआ है। "रायसहाब सेठ कचौरीमल सुखलाल पाटनी' के नाम से व्यवसाय होता है। ★सेठ परतापमलजी गनेशमलजी, छिन्दवाड़ा ... इस फम के मालिकों का मूल निवास स्थान लूणवां ( मारवाड़ ) हैं। लगभग १०० वर्ष पूर्व सेठ परतापमलजी व्यापारार्थ इधर आए एवं फर्म स्थापित. की आपके पश्चात् आपके पुत्र गनेशलालजी ने फर्म का कार्य भारसंभाला एवं उन्नति की । वर्तमान में फर्म के मालिक सेठ गनेशलालजी के दत्तक पुत्र गुलाबचन्दजी वाकलीवाल है । आपके ५ पुत्र हैं । आप व्यवसाय दत्त एवं जन सेवी सज्जन हैं। आप लोकल बोर्ड के प्रेसी डेंट, डिस्ट्रीक्स कौंसिलके वाइस प्रेसीडेंट, न्युनिस्पल मेम्बर आदि भी कई वर्षों तक रह चुके हैं । असहयोग आंदोलन के समय में भी आपने कांग्रेस में रहकर अच्छी जन सेवा की व खादी का बहुत ही प्रचार किया। कई वर्षों से आप श्री ना. प्रां. दि. जैन खंडेलवाल सभा के मंत्री है। छिन्दवाड़ा में आपकी फर्म पर सोना, चांदी, कपड़ा का व्यापार होता है। * सेठ गुलाबचन्दजी वैद मेहता छिंदवाड़ा ... वैद मेहता जीवनमलजी तथा सुपुत्र बहादुरमलजी नागौर से व्यापार के लिए छिंदवाड़ा आए । सेठ जीवनमलजी के ४ पुत्र हुए। बहादुरमलजी. समीरमलजी

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