Book Title: Jain Gaurav Smrutiya
Author(s): Manmal Jain, Basantilal Nalvaya
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 744
________________ जैन-गौरव स्मृतय ite Triratnairerakat ti wwxwmage *सेठ माणकचन्दजी व दीपचन्दी जांगड़ा, परभणी... ___ आपका मूल निवास स्थान सुरपुरा ( मारवाड़ ) हैं । सेठ पूनमचन्दजी के २ पुत्र है-सेठ माणकचन्दजी व सेठ दीपचन्दी । याष दोनों ही बंधु बड़े. उदार प्रकृति के मिलनसार सजन हैं। ____ 'पूनमचन्द माणकचन्द' तथा जैन म्टोर्म के नाम से आपकी फर्मों पर स्टे- . पुनरी का थोक बन्द व्यवसाय होता है । ... श्री दीपचंदजी जांगड़ा. .. . . . ":"fe.rahstinaashaken : सेठ खुशालचन्दजी मूथा, नादड़ .. ___आपका मूल निवास करू दा (अजमेर) है । आपके पिता श्री सेठ गुलाब-. चन्दजी एक धर्मनिष्ट सज्जन थे । किस्तूरचन्द धर्मचन्द के नाम से नांदेड में आपके यहाँ सुई और बैंकिंग का. व्यापार होता हैं । परभणी व जालना.. . में भी दुकान हैं। -एक कुशल व्यवसायी होने के साथ आप एक समाज प्रेमी व मिलनसार उदार सज्जन हैं । आपके ४ पुत्र हैं:श्री किस्तूरचन्दजी धर्मचन्दजी, उत्तम चन्दजी तथा हीराचन्दजी।। * सेठ फौजमलजी गुलाबचन्दजी, परभणी श्रापका मूलनिवास स्थान सोजत (मारवाड़) है । पोरवाल जातीय पंचाव गत्रीयो श्वेताम्बर जैन हैं। सेठ गुलाबचन्दजी के जुगराजजी नामक. पुत्र हुए aurt wimmm.kamshinineta HINADrkatrenting .

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